टेंडर में ईपीएफ व ईएसआइएस पंजीकरण मांगने का विरोध
नाराज ठेकेदारों ने टेंडर खरीदने से इन्कार कर दिया।
रुड़की: विकास कार्यों के टेंडर बेचे जाने, ईपीएफ एवं ईएसआइएस पंजीकरण की बाध्यता करने के विरोध में ठेकेदारों ने जमकर हंगामा किया। उन्होंने इसका विरोध करते हुए नगर आयुक्त से बात की। लेकिन, उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए ठेकेदारों की बात नहीं मानी। इससे नाराज ठेकेदारों ने टेंडर खरीदने से इन्कार कर दिया। साथ ही निगम के निर्माण अनुभाग कार्यालय का दरवाजा बंद कर धरना दे दिया। नगर आयुक्त ने उन्हें समझाने का प्रयास किया। इस मामले को लेकर बंटे ठेकेदारों के दो गुटों में नोकझोंक भी हुई। हालांकि गरमागर्मी होने पर बीच-बचाव कराया गया। विवाद को देखते हुए निगम ने फिलहाल टेंडर बेचने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया है।नगर निगम ने शहर के लिए 64 विकास कार्यों के टेंडर जारी किए थे। सोमवार को इन टेंडर की बिक्री होनी थी। मंगलवार को यह टेंडर जमा होने थे। साथ ही दोपहर बाद इन टेंडर को खोला जाना था। लेकिन, जब ठेकेदार टेंडर खरीदने के लिए निर्माण अनुभाग में पहुंचे तो वहां उनसे ईपीएफ व ईएसआइएस के पंजीकरण का प्रमाण पत्र मांगा गया। ठेकेदारों ने इस पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि इसके पंजीकरण की आवश्यकता बड़े ठेकों में होती है। लेकिन, संबंधित कर्मचारी ने पंजीकरण का प्रमाण पत्र दिए बिना टेंडर बेचने से इन्कार कर दिया। इस पर सभी ठेकेदार एकत्रित होकर नगर आयुक्त विजयनाथ शुक्ला के पास पहुंचे। ठेकेदारों ने प्रमाण पत्र के बिना ही टेंडर बेचने को कहा। नगर आयुक्त ने नियम का हवाला देते हुए इसे जमा कराने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यदि इस समय वह प्रमाण् -पत्र को देने में असमर्थ हैं तो भुगतान से पूर्व इस प्रमाण पत्र को उपलब्ध करा दें। इस पर भी ठेकेदार नहीं माने। बात नहीं बनने पर ठेकेदार वहां से उठकर आ गए। ठेकेदार निगम के निर्माण अनुभाग कार्यालय के बाहर पहुंचे। अनुभाग कार्यालय का दरवाजा बंद कर ठेकेदार धरने पर बैठ गए। उन्होंने जमकर नारेबाजी भी की। नगर आयुक्त विजयनाथ शुक्ला ठेकेदारों को समझाने के लिए उनके पास पहुंचे, लेकिन ठेकेदार प्रमाण पत्र की बाध्यता समाप्त करने की मांग पर अड़े रहे। नगर निगम ठेकेदार यूनियन के अध्यक्ष शोभित गौतम का कहना था कि दोनों प्रमाण पत्रों की कार्य की कैटेगिरी के आधार पर बाध्यता होती है। छोटे ठेकेदार के लिए इन प्रमाण पत्रों की बाध्यता नहीं की जा सकती है। ऐसा करके उसका आर्थिक उत्पीड़न किया जा रहा है। वहीं निगम ठेकेदारों की दूसरी यूनियन के अध्यक्ष संजय गुप्ता का कहना था कि कोरोना काल में पहले ही बहुत परेशान हो चुके हैं। अब हालात सामान्य हुए हैं तो इन प्रमाण पत्रों की बाध्यता थोपी जा रही है। उन्होंने कहा कि छोटे ठेकेदारों पर यह नियम लागू नहीं होता है। यदि निगम ने इन प्रमाण पत्रों की बाध्यता वापस नहीं ली तो वह अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। जरूरत पड़ी तो न्यायालय भी जाएंगे। नगर आयुक्त विजयनाथ शुक्ला ने टेंडर को लेकर हुए विवाद को देखते हुए फिलहाल एक सप्ताह के लिए टेंडर प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। ताकि समस्या का निस्तारण तलाशा जा सके। इस दौरान ठेकेदारों के बीच आपस में भी कहासुनी हुई। हालांकि विवाद बढ़ने से पहले ही अन्य ठेकेदारों ने बीचबचाव करा दिया। इस मौके पर अनीस, अनिल वैश्य, सुंदर कुमार, मोहम्मद युनुस, संजीव कुमार, तनवीर, अनिल कुमार, अंशुल साहनी, विशाल तायल, लाखन सिंह, निखिल शर्मा एवं राजीव कुमार आदि मौजूद रहे।