उत्तराखंड समाचारधर्म

भगत सिंह कोश्यारी ने किया टपकेश्वर महादेव का जलाभिषेक

उन्होंने महंत कृष्ण गिरि महाराज का आशीर्वाद भी प्राप्त किया।

देहरादून। महाशिवरात्रि पर उत्तराखंड के शिवालयों में श्रद्धालुओं का सुबह से ही तांता लग गया। महादेव का जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं की लाइन लग गई। मंदिरों में दिन भर हर-हर महादेव के जयकारे गूंजते रहे। श्रद्धालुओं ने महाशिवरात्रि पर महादेव को भांग-धतूरे का भोग भी लगाया।
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल, उत्तराखण्ड राज्य के पूर्व मुख्यमन्त्री तथा भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता भगत सिंह कोश्यारी ने टपकेश्वर महादेव मंदिर देहरादून मे पहुंचकर टपकेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया। इस अवसर पर उन्होंने महंत कृष्ण गिरि महाराज का आशीर्वाद भी प्राप्त किया।
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने आज महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार के मवाकोट स्थित जगदेव मंदिर में जलाभिषेक कर प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि की कामना की।
वहीं उत्तराखंड की महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने आज अपनी पुत्री वैष्णवी के साथ महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर देहरादून स्थित पौराणिक टपकेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
राजपुर विधायक खजान दास ने आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर त्रिलोक स्वामी भगवान भोलेनाथ शिव शंभू जी के प्रसिद्ध धाम टपकेश्वर महादेव मन्दिर एवं सहारनपुर चौक स्थित पृथ्वीनाथ महादेव मन्दिर में परिवार संग जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की। देवाधिदेव महादेव भगवान भोलेनाथ से सभी के सुख, समृद्धि एवं स्वस्थ जीवन की प्रार्थना की।
ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर देहरादून शहर से करीब छह किलोमीटर दूर गढ़ी कैंट छावनी क्षेत्र में तमसा नदी के तट पर स्थित है। महाभारत काल से पूर्व गुरु द्रोणाचार्य के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए। गुरु द्रोण के अनुरोध पर ही भगवान शिव जगत कल्याण को लिंग के रूप में स्थापित हो गए। इसके बाद द्रोणाचार्य ने शिव की पूजा की और अश्वत्थामा का जन्म हुआ। अश्वत्थामा ने मंदिर की गुफा में छह माह एक पांव पर खड़े होकर भगवान शिव की तपस्या की और जब भगवान प्रकट हुए तो उनसे दूध मांगा। इस पर प्रभु ने शिवलिंग के ऊपर स्थित चट्टान में गऊ थन बना दिए और दूध की धारा बहने लगी। इसी कारण से भगवान शिव का नाम दूधेश्वर पड़ गया। कलियुग में दूध की धारा जल में परिवर्तित हो गई, जो आज भी निरंतर शिवलिंग पर गिर रही है। इस कारण इस स्थान का नाम टपकेश्वर पड़ गया।
महादेव ने यहीं पर देवताओं को देवेश्वर के रूप में दर्शन दिए थे। देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी शिव भक्त और पर्यटक भगवान के दर्शन को यहां आते हैं। पूरा सावन महीना यहां मेले का माहौल बना रहता है, और दर्शन के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है। जंगमेश्वर व टपकेश्वर महादेव मंदिर के श्री 108 महंत कृष्णा गिरी महाराज का कहना है कि भगवान शिव यहां साक्षात प्रकट हुए थे। श्री टपकेश्वर महादेव भक्तों की मनोकामना को पूरी करते हैं। सावन के महीने में यहां मात्र जल चढ़ाने से भक्तों की मन्नत पूरी होती है। 12 महीने देश-विदेश से श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते रहते हैं। टपकेश्वर महादेव मंदिर के दिगंबर भरत गिरी महाराज का कहना है कि पूर्णिमा के दिन महादेव का दूधेश्वर के रूप में शृंगार किया जाता है। क्योंकि इसी दिन अश्वत्थामा को महादेव ने दर्शन दिए थे। महादेव की महिमा टपकेश्वर रूप में अपरम्पार है। यहां जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, शिव उसकी मनोकामना पूरी करते हैं।

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