1 जुलाई को होगा श्री श्री जगन्नाथ गुडिंचा रथ यात्रा का आयोजन
रथ यात्रा के आयोजन के अवसर पर धर्म सभा का आयोजन
देहरादून। श्री श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा श्री गुंडिचा आयोजन समिति ओड़िया समाज एवं श्री राम मंदिर समिति दीपलोक द्वारा श्री राम मंदिर में आगामी 1 जुलाई को निकलने वाली श्री श्री जगन्नाथ जी गुडिंचा 25वी रथ यात्रा के आयोजन के अवसर पर धर्म सभा का आयोजन किया गया। जिसमें जनपद देहरादून की विभिन्न धार्मिक सामाजिक संस्थाओं ने प्रतिभाग किया। शक्तिपुत्र पंडित सुभाष चंद्र सतपति ने बताया की जिस पवित्र एवं दिव्य रथ में भगवान श्री जगन्नाथ जी अपने परिवार के साथ विराजमान होंगे उस रथ को नंदीघोष रथ कहते हैं। इसमें मोटे मोटे दो रसे बंधे होते है। पवित्र रसों को वैदिक परंपराओं के अनुसार भक्तों द्वारा हरि बोल के जोरदार जयघोष के साथ खींचा जाता है। इन रसों को खींचने के लिए भक्तों में अपार श्रद्धा होती है। कहते हैं श्री श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा देने वाली यात्रा होती है। इस दिन पूरे विश्व में लगभग 25000 से ज्यादा रथ यात्राओं का आयोजन होता है। जिनमें से एक यहां देहरादून में विजय रथ यात्रा आयोजित की जाती है। भगवान श्री श्री जगन्नाथ को चलते हुए देव भी कहा जाता है जब यह अपने स्थान से नंदीघोष रथ में विराजमान होंगे तब अपने आप ही स्वयं चल चल कर जिसे ओड़िया भाषा में पहुडी विजै कहते हैं यह रथ में विराजमान होते हैं।नंदीघोष रथ में विराजमान होने के पश्चात जब यात्रा चलने को होती है तो कहते हैं कि ऐसी मान्यता है कि उस देश का राजा रथ के आगे पहले झाड़ू से छेहरा पहरा जिसे हिंदी में साफ सफाई कहते हैं करता है। उसके पश्चात ही है यात्रा प्रारंभ होती है। चूंकि अब राजाओं की परंपरा नहीं है, तो राज्य के मुख्यमंत्रियों को इसमें निमंत्रित किया जाता है। जो इस परंपरा का निर्वहन करते हैं। इस वर्ष भगवान श्री श्री जगन्नाथ जी की 25 वी रथ यात्रा 1 जुलाई 2022 को श्री राम मंदिर से प्रारंभ होगी यात्रा श्री राम मंदिर से प्रारंभ होकर किशन नगर चौक राधे कृष्ण मंदिर जो श्री श्री जगन्नाथ जी की मौसी का घर भी कहा जाता है वहां पहला विश्राम लेगी। वहां पर प्रभु के स्वरूप की पूजा अर्चना व आरती की जाएगी और मिष्ठान वितरण होगा। इसके पश्चात यात्रा घंटाघर मार्ग की ओर प्रस्थान करेगी। घंटाघर से घूम कर यात्रा पुनः उसी मार्ग से वापस श्री राम मंदिर दीप लोक में सायं काल तक आएगी जहां मंदिर में प्रभु की पूजा अर्चना की जाएगी। इसके पश्चात कहा जाता है कि माता लक्ष्मी जी श्री श्री जगन्नाथ प्रभु से नाराज हो जाती हैं कि वह अकेले ही भ्रमण पर चले गए और उन्हें नहीं लेकर गए तब श्री श्री जगन्नाथ जी माता महालक्ष्मी जी को मनाते हैं और उनके लिए श्रृंगार की सामग्री इत्यादि मां लक्ष्मी जी को भेंट कर मनाने का प्रयास करते हैं। वैदिक परंपराओं के साथ यह परंपरा निभाई जाती है। तब माता महालक्ष्मी द्वार खोलकर श्री श्री जगन्नाथ जी को अंदर प्रवेश करने की इजाजत देती है। दशावतार आरती होती है। इसके पश्चात मंदिर प्रांगण में महाप्रसाद भोग का भंडारा प्रारंभ हो जाता है। आज पंडित शक्ति पुत्र सुभाष चंद्र शतपथी, अध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, मंत्री अनिल बांगा, सूर्यकांत धस्माना, मंत्री उत्सव मंत्री जेएस चुग, डॉक्टर कृष्ण अवतार, डॉसीमा अवतार, सुनील कुमार अग्रवाल, बालेश कुमार गुप्ता, एलडी आहूजा, मदन लाल अरोड़ा, नारायण दास, आरके गुप्ता, एसके गांधी, एसके गुप्ता, श्रीमती बीना बिष्ट, संगीता, मीनाक्षी गोदियाल, निवेदिता पांडा, बेनी माधव त्रिपाठी, संजय कुमार गर्ग आदि उपस्थित रहे।