प्रमोशन पाने के लिए अब नहीं चलना होगा 36 हजार किमी, रोडवेज चालकों को बड़ी राहत
परिचालक सालाना 36 हजार किमी के मानक को पूरा नहीं कर सके
हल्द्वानी: प्रमोशन की कतार में खड़े उत्तराखंड परिवहन निगम के परिचालकों को मुख्यालय से बड़ी राहत मिली है। पुराने नियम के मुताबिक परिचालक से बुकिंग क्लर्क या कार्यालय सहायक द्वितीय बनने के लिए परिचालकों को हर साल 36 हजार किमी का सफर करना जरूरी होता है।लगातार तीन साल दूरी का यह आंकड़ा बरकरार रखने के बाद ही प्रमोशन को आवेदन किया जाता है। लेकिन कोरोना की वजह से दो साल बसों का संचालन प्रभावित हो गया था। ऐसे में परिचालक सालाना 36 हजार किमी के मानक को पूरा नहीं कर सके। अब रोडवेज ने किमी की अवधि कम कर बड़ी परिचालकों को प्रमोशन पाने का मौका दे दिया है। हालांकि, प्रमोशन में वरिष्ठता क्रम को भी देखा जाएगा।रोडवेज के स्थायी परिचालक जब पदोन्नति के लिए आवेदन करते हैं तो उन्हें पिछले तीन साल का रूट ब्यौरा देना पड़ता है। हर साल 36 हजार किमी दूरी तय करना जरूरी है। वरना फाइल रिजेक्ट हो जाएगी। लेकिन 2020 और 2021 में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के कारण रोडवेज का संचालन खासा प्रभावित हुआ था।पहली लहर के दौरान करीब डेढ़ महीने तक तो बसें चली ही नहीं। केवल बाहरी राज्यों में फंसे प्रवासियों को शासन के आदेश पर लाया गया। दो साल बसों का संचालन प्रभावित होने के कारण पदोन्नति की श्रेणी में पहुंचे परिचालकों के सामने संकट खड़ा हो गया था। जिसके बाद दून, टनकपुर और नैनीताल रीजन से रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय को मामले से अवगत कराया गया।जिसके बाद शुक्रवार को एमडी रोहित मीणा ने नया आदेश जारी कर दिया। इसके मुताबिक प्रमोशन के लिए आवेदन करने को वित्तीय वर्ष 2019-20 में तो 36 हजार किमी होने चाहिए। क्योंकि, तब कोरोना महामारी नहीं थी। लेकिन 2020-21 और 2021-22 के लिए किमी कम कर दिए गए हैं। मुख्यालय के मुताबिक 2020-21 में 15840 और 21-22 में 28440 किमी होने पर भी आवेदन किया जा सकेगा।