भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा का चेहरा हुआ बेनकाब : जोत सिंह बिष्ट
सरकार में बैठे लोग अपने स्वार्थों की सिद्धि के लिए भ्रष्टाचार में इस तरह लिप्त हो गए हैं
देहरादून, 06 फरवरी। आज प्रातः 11:30 बजे आम आदमी पार्टी के प्रदेश समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने नवीन प्रदेश कार्यालय प्रकाश बिहार में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा की उत्तराखंड की भाजपा सरकार झूठ का लबादा ओढ़कर राज्य के अंदर भ्रष्टाचार के दलदल में बहुत गहरे तक डूब गई है। राज्य की कानून व्यवस्था हो या राज्य में विकास के कार्य हो इनको जिम्मेदारी से करने पर राज्य सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। सरकार में बैठे लोग अपने स्वार्थों की सिद्धि के लिए भ्रष्टाचार में इस तरह लिप्त हो गए हैं कि उनको अपने और अपनों के अलावा कुछ और नहीं दिखाई दे रहा है। सन् 2022 में यूके ट्रिपल एससी भर्ती परीक्षाओं की पोल खुलने के साथ जिस तरह से अलग-अलग परीक्षाओं में नकल माफियाओं द्वारा नकल कराने, पेपर लीक कराने से लेकर अन्य कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ और 40 से अधिक लोग गिरफ्तार भी हुए, उसके बावजूद 8 जनवरी 2023 की पटवारी भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होना राज्य सरकार के भ्रष्टाचार में डूबे होने की पुष्टि करता है, राज्य सरकार की कमजोर इच्छा शक्ति को भी उजागर करता है। यूके ट्रिपल एससी भर्ती परीक्षाओं की अनियमितता के उजागर होने से पहले सहकारी विभाग की भर्तियों का मामला राज्य की जनता के सामने है। जिसकी जांच लंबा समय बीत जाने के बाद भी भाजपा सरकार द्वारा न कराए जाने से नकल माफियाओं के तथा अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। अंकिता हत्याकांड में बुलडोजर चलाने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही ना करना तथा वीआईपी का नाम उजागर ना होने से भी अपराधी यह समझ गए हैं कि राज्य सरकार अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रही है। नकल कराने में संलिप्त जिन लोगों के नाम अब तक उजागर हुए या नकल कराने की वजह से गिरफ्तार किए गए उनमें से अधिकांश लोग भाजपा से जुड़े हुए हैं। यह साफ दिखाई दे रहा है कि बगैर किसी बड़े नेता के संरक्षण के यह लोग नकल कराने का साहस नहीं कर सकते थे। उन्होंने कहा की महत्वपूर्ण बात यह भी है कि विधानसभा भर्ती घोटाले में जिस तरह से कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद 2016 से 2022 तक के 228 लोगों को नौकरी से बर्खास्त किया गया उसमें भी यह साफ दिखाई दे रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने फैसला पारदर्शी तरीके से नहीं लिया। बताया जा रहा है कि विधानसभा भर्ती घोटाले की जांच के लिए बनाई गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा था कि विधानसभा में 2000 से 2022 तक की गई सभी भर्तियां अवैध हैं। इसलिए कार्यवाही सभी लोगों पर समान रूप से होनी चाहिए थी लेकिन क्योंकि यह भी चर्चा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने 2016 से पहले की भाजपा सरकार की भर्तियों पर किसी की नजर न जाए और तत्कालीन मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुई अवैध भर्ती को छुपाया जा सके, इसलिए उन पर कार्रवाई नहीं की गई। परिणाम आधे लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई और आधे लोगों को छोड़ दिया गया। इस घटना से भी नकल माफियाओं और अपराधियों के हौसले बुलंद हुए। कुल मिलाकर के भारतीय जनता पार्टी अपराधियों को संरक्षण दे रही है और उन के माध्यम से भ्रष्टाचार करवा कर राज्य की जनता के हितों पर चोट कर रही है।