उत्तराखंड समाचार

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम राष्ट्र के प्राण : बाबा रामदेव

पतंजलि विश्वविद्यालय में 'मानस गुरुकुल' विषयक राम कथा का समापन

हरिद्वार : पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘मानस गुरुकुल’ विषयक राम कथा का समापन रामनवमी और योगगुरु बाबा रामदेव के 28वें संन्यास दिवस के भव्य कार्यक्रम के साथ हुआ। इस अवसर पर योगगुरु ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम राष्ट्र के प्राण हैं। वे हमारे आराध्य भी हैं, साधन भी हैं, साध्य भी हैं, आदर्श भी हैं, वर्तमान भी हैं, भविष्य भी हैं, भारत के सांस्कृतिक गौरव भी हैं और राम हमारे लिए योग विद्या, अध्यात्म विद्या हैं, राम हमारे राष्ट्र हैं।

बाबा रामदेव ने कहा कि मैं 27 वर्ष का संन्यासी हो चुका हूं और 28वें वर्ष के युवा संन्यस्त जीवन में प्रवेश कर रहा हूं। संन्यासी का एक ही धर्म है योगधर्म से राष्ट्रधर्म, सेवाधर्म और युगधर्म का निर्वहन करते हुए इस राष्ट्र को स्वास्थ्य के साथ-साथ समृद्धि और संस्कार देना। इसलिए संस्कृति मूलक समृद्धि के सौपान पतंजलि योगपीठ चढ़ रहा है। पतंजलि अब देश के करोड़ों लोगों तक स्वास्थ्य से लेकर समृद्धि की योजना पर कार्य कर रही है। पाकिस्तान में राजनैतिक अस्थिरता पर योगगुरु ने कहा कि पाकिस्तान एक अस्थिर देश है। यह सच है कि हम पड़ोसी नहीं बदल सकते लेकिन यह भी सच है कि प्रधानमंत्री मोदी के रहते पाकिस्तान तो क्या कोई भी विरोधी ताकत भारत का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। गवान राम का प्राकट्य दिवस ‘रामनवमी’ और नवरात्रों का पावन पर्व है। कहा कि हम सबने मोरारी बापू के श्रीमुख से पिछले नौ दिन भगवान राम की कथा के माध्यम से भारतीय संस्कृति को जाना, यह हमारा सौभाग्य है। आचार्य जी ने कहा कि वेदधारा का कार्य बहुत जटिल व श्रमसाध्य होता है। फिर भी हमने वेदों पर कार्य करने वाले 50 विद्वान भाष्यकर्ताओं की प्रकाशित-अप्रकाशित पुस्तकों को प्रकाशित करने का कार्य किया है। उन्होंने ‘वेदों की शिक्षाएं’ के आठ वॉल्यूम महर्षि दयानंद, मोरारी बापू और योगगुरु को समर्पित किए। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि वेदों को विज्ञान से जोड़ना आवश्यक है। हम उस पर भी गहन अध्ययन कर रहे हैं। इसी क्रम में पतंजलि ने पहली बार विश्वस्तरीय शोध पत्रों को शोध का सार संस्कृत तथा हिन्दी में प्रकाशित कराया। महर्षि दयानन्द ने कहा कि वेदों में संपूर्ण विज्ञान है। इस अवसर पर मोरारी बापू, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगगुरु बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण ने विश्वविद्यालय की प्रथम डी-लिट उपाधि साध्वी आचार्या देवप्रिया को भेंट की। प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि साधना का जीवन जीने वाली देवप्रिया ने ‘पुराणों में अष्टांग योग’ विषय पर शोध कर यह उपलब्धि प्राप्त की। केंदग्रीय राज्य शिक्षा मंत्री अन्नपूर्णा ने आरती कर रामकथा का समापन किया। तुआ बाबा, बापू चिन्मयानंद, डा. यशदेव शास्त्री साध्वी आचार्या देवप्रिया आदि मौजूद रहे।

 

 

 

 

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