ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए खेती में परिवर्तन जरूरी: चतुर्वेदी
बड़ी आबादी अभी भी खेती पर निर्भर करती है।
रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने 175 वर्ष पूरे होने पर उन्नत भारत अभियान के तहत मिलकर सामर्थ्य कार्यक्रम का आयोजन किया। इसका उद्देश्य गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूह, किसान, छात्र एवं उद्यमियों को एक मंच पर लाकर ग्रामीण क्षेत्रों में परिवर्तन के लिए खेती में किस तरह के बदलाव किए जाए, इस पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संस्थान के निदेशक प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए खेती में परिवर्तन जरूरी है। बड़ी आबादी अभी भी खेती पर निर्भर करती है। गांव से यदि पलायन को रोकना है तो सबसे पहले खेती आधारित उद्योगों को विकसित किया जाए और खेती में बदलाव करना होगा। खेती से ही अधिक से अधिक रोजगार के साधन बढ़ेंगे। पद्मश्री भारत भूषण त्यागी ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम एवं वर्कशाप से किसानों को काफी लाभ मिलेगा। इससे वह खेती के आधुनिक तौर-तरीकों की और बढ़ने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जैविक खेती ही आर्थिक रूप से किसान को मजबूत बनाएगी। किसान मजबूत होगा तो देश खुशहाल होगा। इस मौके पर 550 से अधिक किसान सहकारी संगठनों की ओर से अपने जैविक उत्पाद की प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसके बाद राउंड द टेबल चर्चा का भी आयोजन किया गया। इस मौके पर इसरो नई दिल्ली से वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. खुशबू मिर्जा ने आरसीआइ, यूबीए, आइआइटी रुड़की के सहयोग से यूबीए सर्वेक्षण एप बनाया। यह एप उत्तराखंड एवं पश्चिमी उप्र में यूबीए (उन्नत भारत अभियान) द्वारा गोद लिए गए गांवों के हाउस होल्ड सर्वे का डाटा एकत्र करने में मदद करेगा। इस मौके पर उद्यमी सौम्या कृष्णामूर्ति, सामाजिक कार्यकत्र्ता आशीष शर्मा, पर्यावरणविद् रामवीर तंवर, वन संरक्षण के नोडल अधिकारी कपिल जोशी, अनीता गुप्ता, डा. हीरालाल एवं आइआइटी रुड़की के उप निदेशक प्रो. मनोरंजन परिदा उपस्थित रहे।