उत्तर प्रदेश समाचार

जूनियर रेडक्रॉस का प्रकृति को संरक्षित करने का आह्वान

2045 तक लगभग 13 करोड़ से अधिक लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ सकता है।

फरीदाबाद। राजकीय माडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद में जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में विश्व मरुस्थलीकरण व सूखा रोकथाम दिवस पर वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया। जूनियर रेडक्रॉस और ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविंदर कुमार मनचंदा ने कहा कि शहरों और औद्योगीकरण के विस्तार के चलते आज जंगल सिकुड़ रहे हैं ऐसे में मैदानी क्षेत्रों को नुकसान पहुँचाने का रिस्क भी बढ़ा है। प्राकृतिक, निर्वनीकरण, अंधाधुंध तरीके से लकडि़यों का ईंधन के लिये प्रयोग करना, दावानल आदि भूमिक्षरण के अन्य कारण रहे हैं। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखा बड़े खतरे हैं, जिनसे विश्व भर में लाखों व्यक्तियों विशेषकर महिलाएं और बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। इस तरह के रुझानों को तत्काल बदलने की आवश्यकता है क्योंकि इस से मजबूरी में होने वाले विस्थापन में कमी आ सकती है खाद्य सुरक्षा सुधर सकती है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है। साथ ही यह वैश्विक जलवायु इमरजेंसी को दूर करने में भी मदद कर सकती है। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार 2025 तक विश्व के दो तिहाई लोग जल संकट की परिस्थितियों में रहने को मजबूर होंगे। उन्हें कुछ ऐसे दिनों का भी सामना करना पड़ेगा जब जल की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर होगा। मरुस्थलीकरण के परिणामस्वरूप विस्थापन और भी बढ़ने की संभावना है और 2045 तक लगभग 13 करोड़ से अधिक लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ सकता है। यह उल्लेखनीय है कि भारत में 29.3 प्रतिशत भूमि क्षरण से प्रभावित है। मरुस्थलीकरण व सूखे की बढ़ती भयावहता को देखते हुए इससे मुकाबला करने के लिए वैश्विक स्तर पर जागरूकता के प्रसार की आवश्यकता है। जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य मनचन्दा ने कहा कि मरुभूमि के निरन्तर विकास होते रहने का भौगोलिक कारण भी रहा है जैसे कम वर्षा तथा जल के वाष्पीकरण में अधिकता से भूमि की लवणता का बढ़ना, दिन तथा रात के तापमान में अधिक अंतर होने से चट्टानों का टूटना, धूल के कणों की मात्रा व उनके आकार में वृद्धि होना आदि। रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि पेड़ पौधे रोप कर तथा उन्हें पाल पोस कर विकसित कर हम मरुस्थलीकरण और सूखे की गति को कम कर सकते हैं। विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के युवा वर्ग को भी जोड़ने की आवश्यकता है। आज प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने मरुस्थलीकरण और सूखे की समस्या को पेंटिंग और पोस्टर के माध्यम से छात्राओं सुरुचि, स्नेहा, नेहा, वंशिका और राधा द्वारा दर्शाते हुए अभिनंदन किया। अधिक से अधिक पेड़ लगानेे, प्राकृतिक वनस्पतियों का संरक्षण करने, कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने और ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों का प्रयोग करने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

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