गणेश चतुर्थी पर बन रहा है विशेष संयोग : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है।
देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा का नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुँचते है। नौ दिन बाद गानों और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है। शिवपुराण में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति गणेश की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि गणेशपुराण के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।
भाद्रपद-कृष्ण-चतुर्थी से प्रारंभ करके प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चंद्रोदयव्यापिनीचतुर्थी के दिन व्रत करने पर विघ्नेश्वरगणेश प्रसन्न होकर समस्त विघ्न और संकट दूर कर देते हैं।
चंद्र दर्शन दोष से बचाव :- प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात् व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है। जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है। इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है।
गणेश चतुर्थी पर बन रहा है विशेष संयोग और कई शुभ योग :-
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की इस बार की गणेश चतुर्थी पर 10 साल बाद यह बेहद खास संयोग बन रहा है. इसके साथ ही कई शुभ योग भी बन रहें हैं। पंचांग के अनुसार इस वर्ष गणेश चतुर्थी के अवसर पर तीन शुभ योग बन रहे हैं और एक विशेष संयोग बन रहा है। इस वर्ष की गणेश चतुर्थी तिथि रवि योग में है। वहीं इसी दिन दो शुभ योग ब्रह्म योग और शुक्ल योग भी बन रहे हैं। पंचांग के मुताबिक, 31 अगस्त 2022 दिन बुधवार को प्रात:काल 05:58 बजे से लेकर देर रात 12:12 बजे तक रवि योग है। जबकि प्रात:काल से लेकर रात 10:48 बजे तक शुक्ल योग और शुक्ल योग के समाप्त होने के तुरंत बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा। ये तीनों ही योग पूजा पाठ की दृष्टि से बेहद शुभ माने गए हैं।
धार्मिक मान्यता है कि रवि योग अमंगल को दूर कर सफलता प्रदान करता है। इस योग में सूर्य की स्थिति बेहद प्रबल मानी जाती है। ऐसे में गणेश चतुर्थी पर आप गणपति बप्पा की विधिवत पूजा करके उन्हें प्रसन्न कर अपनी हर कामना को सफल बना सकते हैं।
गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है जो कि 10 दिनों तक चलता हैं। लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। गणेश चतुर्थी को गणेश जी का जन्म दिवस होता है, इसलिए इसे गणेश जयंती भी कहते हैं। गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अगले 10 दिनों तक मनाया जाता है। अंतिम दिन चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की विधिवत पूजा के बाद उनका विसर्जन करते हैं। पंचांग के मुताबिक, इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है।