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श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है रक्षाबंधन : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

11 अगस्त को पड़ रहा रक्षाबंधन का पर्व : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की रक्षाबंधन का त्यौहार प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाते हैं, इसलिए इसे राखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का उत्सव है। 2022 में रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त, गुरुवार को पड़ रहा है।

रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम और पावन रिश्ते को प्रदर्शित करता है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र, राखी या मौली बांधकर उनकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं दूसरी तरफ भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर ताउम्र उनकी रक्षा का वचन देते हैं हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षा बंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। साल 2022 में रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त, गुरुवार को पड़ रहा है। श्रावण मास की पूर्णिमा को कजरी पूनम भी कहा जाता है।

रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त के बारे में डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त , गुरुवार के दिन पूर्वाह्न 10 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर उसके अगले दिन 12 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि में त्योहार मनाने के नियमानुसार, रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त के दिन मनाया जाएगा। 11 अगस्त को बहनें अपने भाइयों को सुबह 8 बजकर 51 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 19 मिनट के शुभ मुहूर्त के बीच राखी बांध सकती हैं। लेकिन इस बीच शाम 05:17 से रात 08:00 बजे तक भद्राकाल रहेगा। इस दौरान भाई को राखी न बांधें।

रक्षाबंधन के दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे और घनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग भी लगेगा। वहीं, भद्रा काल को छोड़कर राखी बांधने के लिए पूरा 12 घंटे का समय मिलेगा।

रक्षा बंधन पर बन रहे ये खास संयोग :- रक्षा बंधन के दिन इस साल कई शुभ संयोगों का निर्माण हो रहा है। इस साल राखी के दिन आयुष्मानयोग, सौभाग्य योग व रवि योग बन रहे हैं। आयुष्मान योग 11 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सौभाग्य योग शुरू होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन शुभ योगों में किए कार्यों में सफलता व मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

भद्राकाल में क्‍यों नहीं बांधते राखी?

रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त में भाई को राखी बांधने से बहन और भाई दोनों को शुभ फल मिलता है। लेकिन शुभ मुहूर्त में राखी न भी बांध पाएं तो भद्राकाल और राहुकाल में राखी बांधने की सख्‍त मनाही की गई है। इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है, जिसके मुताबिक लंकापति रावण को उसकी बहन ने भद्राकाल में ही राखी बांधी थी और रावण का प्रभु श्रीराम के हाथों वध हुआ था। इसके अलावा यह भी मान्‍यता है कि भद्राकाल में शिव जी तांडव करते हैं। इन दोनों कारणों से भद्राकाल में राखी बांधने या अन्‍य कोई शुभ काम करने की मनाही की जाती है।

रक्षा बंधन 2022 शुभ मुहूर्त-

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 11 अगस्त, गुरुवार को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से शुरू होगी। जो कि अगले दिन यानी 12 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 07 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, रक्षा बंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा।

राखी बांधने का उत्तम मुहूर्त-

11 अगस्त को राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होगा। बहनें सुबह 09 बजकर 28 मिनट से रात 09 बजकर 14 मिनट तक रक्षा सूत्र भाइयों की कलाई पर बांध सकती हैं।

 

 

 

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