महापौर का ही था 25 लाख रुपये मांगने का आडियो!
मामले में जिस आडियो को महापौर झूठा बताते हुए इसे साजिश करार दे रहे थे
रुड़की: लीज संपत्ति नवीनीकरण के नाम पर 25 लाख मांगने के मामले में नगर निगम रुड़की के महापौर गौरव गोयल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मामले में जिस आडियो को महापौर झूठा बताते हुए इसे साजिश करार दे रहे थे, विधि विज्ञान प्रयोगशाला देहरादून ने उस आडियो को महापौर गौरव गोयल की आवाज से मिलती-जुलती बताया है। इसके बाद पुलिस ने महापौर गौरव गोयल के विरुद्ध आगे की कार्रवाई के लिए शासन से अनुमति मांगी है।
23 जनवरी को रुड़की के राजपूतान मोहल्ला निवासी सुबोध कुमार ने रुड़की कोतवाली में महापौर गौरव गोयल के खिलाफ काम के एवज में 25 लाख रुपये मांगने को लेकर तहरीर दी थी। जिसमें सुबोध कुमार ने कहा था कि मथुरादास एवं ओमप्रकाश के नाम पर तीन लीज संपत्ति हैं। 30-30 साल बाद इनका नवीनीकरण होता आया है। उन्होंने लीज के नवीनीकरण के लिए नगर निगम में प्रार्थना पत्र दिया था। नगर निगम की ओर से नवीनीकरण न करने पर उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस पर 13 दिसंबर 2021 को उच्च न्यायालय ने दो माह के अंदर नगर निगम की बैठक बुलाकर इसके निस्तारण के आदेश दिए थे। वह 20 दिसंबर को महापौर से मिले। उन्होंने आरोप लगाया कि महापौर गौरव गोयल ने उन्हें कहा था कि 25 लाख रुपये देने के बाद ही इस संपत्ति की लीज का नवीनीकरण किया जाएगा। उन्होंने रुपये देने से इन्कार कर दिया था। आरोप लगाया कि महापौर गौरव गोयल ने इस मामले में दो बार फोन कर उनसे रकम की मांग की। इसके बाद आठ जनवरी 2022 को नगर निगम बोर्ड की बैठक बुलाई गई। लेकिन, उनके मामले में कोई निर्णय नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि महापौर का एक आडियो भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है। कोतवाली रुड़की पुलिस ने दर्ज मुकदमे में इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहे महापौर के कथित आडियो को भी बतौर साक्ष्य शामिल किया था। साथ ही आडियो को देहरादून स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला जांच के लिए भेजा गया था। मामले की जांच कर रहे उपनिरीक्षक संजय नेगी ने बताया कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला से आडियो की जांच रिपोर्ट आ गई है, जिसमें महापौर गौरव गोयल की आवाज का सैंपल व आडियो की आवाज को मिलती-जुलती बताया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद अब मामले में आगे की कार्रवाई के लिए शासन को लिखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि गौरव गोयल महापौर के पद पर हैं। इसलिए आगे की कार्रवाई के लिए शासन से अनुमति ली जा रही है।