खगोल विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा देश: राघवन
इस वर्ष में एएसआइ सराहनीय कार्य कर रहा है।
रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी रुड़की) और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट आफ आब्जर्वेशन साइंसेज (एआरआइईस) नैनीताल की ओर से संयुक्त रूप से एस्ट्रोनामिकल सोसायटी आफ इंडिया (एएसआइ) की वार्षिक बैठक आयोजित की गई। 29 मार्च तक चलने वाली इस बैठक में एएसआइ सदस्यों के अलावा विश्वविद्यालय, कालेज, खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी या संबंधित क्षेत्रों के शोधकर्ता एवं विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं।
उद्घाटन कार्यक्रम में राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र के पूर्व निदेशक एवं प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के विजय राघवन ने कहा कि भारत को खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी शोधकर्ता बनाने के लिए इसरो, एएसआइ और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों की ओर से किए जा रहे प्रयास जरूरी हैं। खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी की नींव को मजबूत किया जाना जरूरी है। इस वर्ष में एएसआइ सराहनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह बैठक मील का पत्थर साबित होगी। आइआइटी के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि यह बैठक संस्थान के विद्यार्थियों एवं फैकल्टी को खगोल विज्ञान के रोचक विषय के बारे में अधिक जानने के लिए अवसर देगा। इससे उनके अंदर और अधिक रुचि बढ़ेगी। एआरआइईएस के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी ने कहा कि स्टार प्लैनेट इंटरेक्शन की महत्वपूर्ण विशेषताओं और ग्रहों के पर्यावरण पर प्रभाव को समझाना विश्वस्तर पर तेजी से उबरता एक विषय है। इसे हाल ही में अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ आयोग ने भी मान्यता दी है। उन्होंने बताया कि एस्ट्रोनामिकल सोसायटी आफ इंडिया की स्थापना वर्ष 1992 में हुई थी। इसके गठन के 50 साल पूरे होने पर यह बैठक आयोजित की गई है। गठन के बाद से ही यह भारत में प्रोफेशनल खगोलविदों का प्रमुख संघ बन गया है। वर्तमान में इस सोसायटी में एक हजार सदस्य हैं। इसका उद्देश्य भारत में खगोल विज्ञान और विज्ञान से संबंधित शाखाओं को बढ़ावा देना है।