गन्ने की बुआई जोरों पर, किसानों को नहीं मिल रही डीएपी
इस समय डीएपी की सबसे अधिक जरूरत है।
रुड़की: जिले में किसानों के सामने अब डीएपी का संकट खड़ा हो गया है। किसानों को गन्ने की बुआई के लिए डीएपी की आश्यकता है, लेकिन किसानों को डीएपी नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से किसान परेशान हैं।
इस समय जिले में बड़े पैमाने पर गन्ने की बुआई चल रही है। वसंतकालीन गन्ने की बुआई के लिए रात-दिन किसान खेतों पर काम कर रहे हैं। दरअसल गन्ने की बुआई के दौरान जिले के अधिकांश किसान डीएपी खाद का इस्तेमाल करते हैं। इस समय किसानों को डीएपी नहीं मिल पा रही है। किसान राजबीर सिंह, जोगेंद्र सिंह, अल्लादिया, मुबारिक अली आदि ने बताया कि किसान हर रोज समिति दफ्तर पर जा रहे हैं, लेकिन यहां से मायूस होकर लौट रहे हैं। किसी भी समिति के गोदाम पर डीएपी नहीं है, जबकि इस समय डीएपी की सबसे अधिक जरूरत है। उन्होंने बताया कि जन प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन-प्रशासन को अवगत कराया गया है, लेकिन यह समस्या हल होने का नाम नहीं ले रही है। वहीं सहायक निबंधक सहकारिता राजेश चौहान ने बताया कि इस संबंध में इफको के अधिकारियों से बात की गई है। उन्होंने बताया कि डीएपी के रेट रिवाइज होने हैं, इसकी वजह से डीएपी की किल्लत बनी हुई है।
हरिद्वार जिले में सहकारी समितियों पर कुछ जगह जबरन किसानों को नैनो यूरिया बेचा जा रहा है। इसे लेकर किसानों में आक्रोश है। प्रेमराजपुर के किसानों ने बताया कि वह यूरिया लेने के लिए भगवानपुर गए थे। यहां पर पांच बोरी यूरिया के साथ दो बेातल नैनो यूरिया लेने के लिए किसानों को बाध्य किया जा रहा है। जब किसानों ने इस बात का विरोध किया तो उनको कहा गया कि यूरिया नहीं दिया जाएगा। हालांकि किसानों के तेवर को देखते हुए उनको यूरिया दे दिया गया। इस संबंध में सहायक निबंधक सहकारिता राजेश चौहान ने बताया कि कोई भी जबरन खाद की बिक्री नहीं कर सकता है। किसान को जो चाहिए और समिति गोदाम में उपलब्ध है वह देना ही होगा।