प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित करने पर जोर
एसएमजेएन पीजी कालेज में विज्ञान प्रशिक्षण और भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
हरिद्वार: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर हुई गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि विज्ञान की यात्रा के लिए हमारे भीतर धैर्य, तटस्थता, सत्यता और निरंतरता का होना आवश्यक है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह में मुख्य अतिथि पद्मभूषण डा. अनिल जोशी ने कहा कि कोरोना महामारी ने मनुष्य को उसकी हैसियत अच्छी तरह से समझा दी है। कोरोना जैसे दिखाई न देने वाले वायरस ने पूरे विश्व की मेडिकल और तकनीकी व्यवस्था को यह बता दिया है कि प्रकृति से हस्तक्षेप का परिणाम मानव के हित में न कभी रहा है और न कभी रहेगा। डा. जोशी ने कहा कि हमें अविलंब प्रकृति और उसके घटकों के महत्व को समझते हुए प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित करना होगा।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि हमें सतत विकास की मूल अवधारणा को मस्तिष्क में रखकर विकास की योजनाएं बनानी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक प्रो. दिनेश भट्ट ने कहा कि आज देश को सच्चे वैज्ञानिकों की आवश्यकता है। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पक्षी वैज्ञानिक डा. विनय सेठी ने विज्ञान से संवाद विषय पर अपना पावर पाइंट प्रेजेंटेशन दिया। उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के वैज्ञानिक डा. गजेंद्र रावत ने रिमोट सेंसिग और जीआइएस प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला। जंतु और पर्यावरण विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. देवेंद्र मलिक, डा. विनोद उपाध्याय, डा. नितिन कांबोज, प्रो. पुरुषोत्तम कौशिक, प्रो. नमिता जोशी, डा. संगीता मदान, डा. विनोद, मनोहर पंचोली, अजय कुमार, डा. कमल जोशी, डा. विकास सैनी आदि उपस्थित रहे। संचालन डा. राकेश भटियानी ने किया।
एसएमजेएन पीजी कालेज में विज्ञान प्रशिक्षण और भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। भाषण प्रतियोगिता में विशाल बंसल ने प्रथम, अर्शिका ने द्वितीय और कृतिका ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। बतौर मुख्य अतिथि कालेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने विजयी प्रतिभागियों को ग्लोब का माडल देकर पुरस्कृत किया। कहा कि जिस प्रकार आज यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के कारण जो हालात उत्पन्न हो रहे हैं, उससे न केवल प्राकृतिक संसाधनों पर एक संकट मंडरा रहा है अपितु मानवीय संसाधन भी खतरे की कगार पर है। उन्होंने कहा कि सभी को मिलजुलकर सतत विकास के लिए धरा के भूगोल को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है। प्राचार्य डा. सुनील कुमार बत्रा ने आह्वान किया कि विज्ञान का समुचित प्रयोग करके संसाधनों को आने वाली पीढि़यों के लिए संजोकर रखना होगा। विज्ञान विभाग के विनीत सक्सेना, डा. विजय शर्मा, डा. प्रज्ञा जोशी और डा. पूर्णिमा सुंदरियाल ने छात्र-छात्राओं को जल की गुणवत्ता, पीएच मीटर, टरबीडिटी मीटर, सैंट्रीफ्यूज, डीओ मीटर की कार्यविधि का भी प्रशिक्षण दिया। मदरहुड विश्वविद्यालय की ओर से विज्ञान संकाय के डा. विजय शर्मा को एनवायरमेंटिलिस्ट आफ द ईयर अवार्ड मिलने पर कालेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्रीमहंत रविद्र पुरी महाराज और प्राचार्य डा. सुनील कुमार बत्रा ने सम्मानित किया गया। भाषण प्रतियोगिता में विवेक भट्ट, विशाल बंसल, कृतिका तोमर, कलावती, प्रियांशी रावत, आयुष, हर्षित, झलक, खुशी, सोनाली, साक्षी जैन, दीपा, अर्शिका, मयंक, प्रेरणा मदान समेत अनेक छात्रों ने प्रतिभाग किया। संचालन डा. पद्मावती तनेजा ने किया। अनिल कुमार शर्मा, पुनीत सोबती, डा. मनमोहन गुप्ता, डा. संजय कुमार माहेश्वरी, विनय थपलियाल, वैभव बत्रा, रिकल गोयल आदि मौजूद रहे।