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सरकार जल्द ही बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो स्थापित करेगी : सर्बानंद सोनोवाल

सरकार के सभी बंदरगाह हाइड्रोजन हब बनाने की संभावना तलाशेंगे।"

नई दिल्ली। केंद्रीय पत्तन,पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू), और आयुष मंत्री, श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज केवडिया, गुजरात में 19वीं समुद्री राज्य विकास परिषद की बैठक में भारत के समुद्री क्षेत्र के लिए एक दृष्टिकोण का अनावरण किया, जिसमें परिवर्तनकारी प्रभाव का वादा करने वाली प्रमुख पहलों की रूपरेखा दी गई। श्री सोनोवाल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार जल्द ही देश के सभी बंदरगाहों की सुरक्षा को उन्नत करने के लिए बंदरगाह सुरक्षा ब्यूरो स्थापित करेगी। उन्होंने सतत विकास पर सरकार के फोकस पर भी प्रकाश डाला और केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बंदरगाहों पर हाइड्रोजन हब विकसित करने की मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सभी बंदरगाह हाइड्रोजन हब बनाने की संभावना तलाशेंगे।” उन्होंने कहा कि दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी ने इस उद्यम के लिए 1.68 लाख करोड़ रुपये के एमओयू को पहले ही अंतिम रूप दे दिया है।इसके अलावा, श्री सोनोवाल ने बंदरगाहों के लिए अमृत काल विजन के तहत अपनी बंदरगाह क्षमता को चार गुना करने की देश की प्रतिबद्धता की घोषणा की। उन्होंने रेखांकित किया कि सभी प्रमुख बंदरगाहों ने 2047 के लिए अपने पोर्ट मास्टर प्लान तैयार कर लिए हैं और राज्य भी 2047 के लिए अपने पोर्ट मास्टर प्लान तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “2047 में देश की कुल बंदरगाह क्षमता मौजूदा लगभग 2,600 एमटीपीए से बढ़कर 10,000 एमटीपीए से अधिक हो जाएगी।”प्रमुख और अधिसूचित बंदरगाहों, राज्य समुद्री बोर्डों, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के बीच बेहतर समन्वय बढ़ाने के लिए पत्तन,पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा गुजरात के केवडिया में आयोजित दो दिवसीय 19वीं समुद्री राज्य विकास परिषद की बैठक आज संपन्न हुई। एमएसडीसी समुद्री क्षेत्र को विकसित करने के लिए मई 1997 में गठित एक शीर्ष सलाहकार निकाय है। इसका उद्देश्य प्रमुख और अन्य अधिसूचित बंदरगाहों का एकीकृत विकास सुनिश्चित करना है।
श्री सोनोवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मंत्रालय नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है। उन्होंने कहा कि वे वह हमेशा बेहतर सहयोग में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि समुद्री राज्य विकास परिषद, सहयोग के एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में उभर रहा हैं और हमारे देश के समुद्री क्षेत्र की विकास यात्रा को आकार देने में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।’’

मंत्री ने समुद्री क्षेत्र में भारत के बढ़ते कद और आगामी ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस) 2023 का भी जिक्र किया। केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि सभी समुद्री राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जीएमआईएस 2023 में भाग लेंगे, जो इसे देश के सबसे बड़े शिखर सम्मेलनों में से एक बना देगा। ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट 2023, 17 से 19 अक्टूबर 2023 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होने वाला है। जीएमआईएस 2023 अवसरों का पता लगाने, भारत के समुद्री क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने, चुनौतियों को समझने और उद्योग से प्रमुख हस्तियों को एक साथ लाने के लिए एक प्रमुख समुद्री क्षेत्र-केंद्रित कार्यक्रम है। 2016 और 2021 के अपने पिछले संस्करणों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, शिखर सम्मेलन के इस तीसरे संस्करण का उद्देश्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री हितधारकों और निवेशकों के लिए व्यापक संभावनाओं के बारे में बताना है। शिखर सम्मेलन में समुद्री क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों के प्रदर्शकों और निवेशकों के साथ 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।
इसके अलावा, मंत्री ने रेखांकित किया कि देश का समुद्री क्षेत्र वर्तमान में पर्याप्त विकास के लिए तैयार है, जिसमें 10 लाख करोड़ से अधिक के निवेश के अवसर पहचाने गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह बढ़ती वित्तीय संभावना एक आर्थिक उछाल से कहीं अधिक है; यह देश में 15 लाख से अधिक युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के अवसर का प्रतीक है, जो आर्थिक उन्नति को सामाजिक सशक्तिकरण के साथ जोड़ता है। इस दृष्टिकोण के अनुरूप, निजी हितधारकों की भूमिका को उत्तरोत्तर बढ़ाया जा रहा है, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) टर्मिनल वर्तमान में प्रमुख बंदरगाहों पर लगभग 50 प्रतिशत कार्गो को संभाल रहे हैं और आने वाले दशकों में उनकी हिस्सेदारी को लगभग 85 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं। निजीकरण की दिशा में इस रणनीतिक कदम से दक्षता बढ़ने और संचालन के पैमाने को सुविधाजनक बनाने की उम्मीद है। इसके अलावा, भारत के ऐसे राष्ट्रीय जलमार्गों पर कार्गो आवाजाही को बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है, जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष में साल-दर-साल 16 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। 2047 तक 500 एमटीपीए की पर्याप्त मात्रा हासिल करने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जो व्यापक राष्ट्रीय विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में समुद्री क्षेत्र का लाभ उठाने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
श्री सोनोवाल ने सागरमाला कार्यक्रम की बात करते हुए कहा कि पिछले आठ वर्षों में, सागरमाला कार्यक्रम की रणनीतिक पहल ने बंदरगाह क्षमता, कनेक्टिविटी और परिचालन दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे लागत में कमी आई है, जहाज के टर्नअराउंड समय में कमी आई है, बड़े जहाजों को समायोजित किया जा सका है, उनकी क्षमता में वृद्धि हुई है और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारतीय बंदरगाहों की रणनीतिक प्रासंगिकता बढ़ी है। श्री सोनोवाल ने सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय; सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय; और रेलवे मंत्रालय को अटूट समर्थन देने के लिए प्रोत्साहित किया।
सभा को संबोधित करते हुए, केंद्रीय राज्यमंत्री, पत्तन,पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय, श्री श्रीपाद नाइक ने कहा, “नए युग की प्रौद्योगिकियों को अपनाने, टिकाऊ जीवन पद्धतियों को बढ़ावा देने और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने पर लगातार जोर दिया जाना चाहिए। इन प्रमुख पहलुओं पर लगन से ध्यान देकर, हम सामूहिक रूप से अपनी तटीय आबादी की समग्र बेहतरी में योगदान दे सकते हैं।”
केंद्रीय राज्य मंत्री, पत्तन,पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय, श्री शांतनु ठाकुर ने कहा, “भारतीय समुद्री क्षेत्र हमारे देश की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और रणनीतिक उन्नति की आधारशिला के रूप में अद्वितीय महत्व रखता है। इसके अलावा, हमारी विस्तृत तटरेखा के कारण, यह क्षेत्र तटीय आजीविका का समर्थन करता है और सतत विकास को बढ़ावा देता है। इसका लचीला बुनियादी ढांचा भारत की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता की यात्रा को आगे बढ़ाने में बहुआयामी महत्व रखता है।” गुजरात सरकार के कृषि मंत्री, राघवजी पटेल ने कहा, “गुजरात में, समुद्री क्षेत्र में सतत विकास के लिए हमारी प्रतिबद्धता नवाचार और समृद्धि को बढ़ावा देती है, जो भारत के लिए एक वाइब्रेंट समुद्री भविष्य की दिशा में मार्ग प्रशस्त करती है।” उन्होंने आगे कहा, “आइए एक स्थायी और समृद्ध समुद्री क्षेत्र की ओर एक साथ चलें, भारत की समुद्री शक्ति को नए क्षितिज तक बढ़ाएं।” कर्नाटक के मत्स्य पालन, बंदरगाह एवं अंतर्देशीय जल परिवहन राज्य मंत्री श्री मंकल वैद्य ने बैठक के दौरान कर्नाटक के समुद्री क्षेत्र को विकसित करने में सहयोगात्मक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “मैं प्रमुख परियोजनाओं की मंजूरी के लिए आभार व्यक्त करता हूं और राज्य में कार्गो हैंडलिंग क्षमता और समुद्री विकास को बढ़ावा देने के लिए लंबित पहलों के लिए त्वरित मंजूरी का आग्रह करता हूं।” अपने विचार व्यक्त करते हुए, तमिलनाडु के लोक निर्माण मंत्री, थिरु ईवी वेलु ने कहा, “तमिलनाडु का अनूठा तटीय विजन, 19वीं एमएसडीसी बैठक में महत्वपूर्ण रहा। हम समर्थन के लिए आभारी हैं और श्रीलंका के साथ इतिहास और व्यापार को जोड़ने वाली अंतर्राष्ट्रीय यात्री फेरी सेवा का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। समुद्री योजना, तटीय पर्यटन और कुड्डालोर ग्रीनफील्ड बंदरगाह के प्रति हमारी प्रतिबद्धता समुद्री विकास के प्रति हमारे समर्पण को रेखांकित करती है।” दूसरे दिन सागरमाला कार्यक्रम के कार्यान्वयन से संबंधित विभिन्न विकास एजेंडा; राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी), लोथल, गुजरात का विकास; राष्ट्रीय जलमार्गों का विकास; रोपैक्स/फेरी के प्रचार के लिए चुनौतियाँ और अवसर; शहरी यात्री जलमार्ग परिवहन; सड़क एवं रेल बंदरगाह कनेक्टिविटी; तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सफलता की कहानियाँ और राज्य समुद्री बोर्डों के सामने आने वाले मुद्दे/चुनौतियाँ, आदि पर चर्चा की गई।

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