सर्वार्थ सिद्धि एवं रवि योग में मनाया गया निर्जला एकादशी का त्यौहार
हर हर गंगे : प्रातः कालीन आरती सकुशल संपन्न
देहरादून, 31 मई। परिवार में सुख व समृद्धि की प्राप्ति तथा भगवान विष्णु की कृपा पाने को लेकर निर्जला एकादशी का त्यौहार आज सर्वार्थ सिद्धि योग तथा रवि योग के बीच मनाया गया। सनातन परंपरा में रखे जाने वाले तमाम व्रतों में निर्जला एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी निर्जला एकादशी पर किया गया व्रत, अनुष्ठान बेहद फलदायी होता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली सभी एकादशी व्रत में निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन होता है। आज निर्जला एकादशी के पावन पर्व के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने हरिद्वार में मां गंगा के विभिन्न घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई। गंगा दशहरा पर्व के तुरंत बाद आज निर्जला एकादशी के अति पावन पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने मां गंगा के विभिन्न घाटों पर आस्था की डुबकी लगाकर धन्य हुये।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने निर्जला एकादशी व्रत के विषय मे बताया की अगर आप साल की 24 एकादशी का व्रत नहीं पाते तो इस एक व्रत को करने मात्र से ही आप सारा पुण्य कमा सकते हैं। सभी एकादशियों पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले भगवान विष्णु की पूजा करते हैं व उपवास रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने, पूजा और दान करने से व्रती जीवन में सुख-समृद्धि का भोग करते हुए अंत समय में मोक्ष को प्राप्त होता है। लेकिन इन सभी एकादशियों में से एक ऐसी एकादशी भी है जिसमें व्रत रखकर साल भर की एकादशियों जितना पुण्य कमाया जा सकता है। यह है ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी। इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। एकादशी का यह उपवास निर्जला रहकर करना होता है इसलिये इसे रखना बहुत कठिन होता है। क्योंकि एक तो इसमें पानी तक पीने की मनाही होती है दूसरा एकादशी के उपवास को द्वादशी के दिन सूर्योदय के पश्चात खोला जाता है। अत: इसकी समयावधि भी काफी लंबी हो जाती है। सभी व्रत, उपवासों में निर्जला एकादशी को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है इसलिये पूरे यत्न के साथ इस व्रत को करना चाहिये।