स्वच्छता भारतीय संस्कृति के आदर्श स्वरूप में शामिल : चिदानन्द सरस्वती
भगवद् गीता में आंतरिक और बाहरी दोनों स्वच्छता के महत्व को बड़ी ही सहजता से समझाया गया है।
भगवती प्रसाद गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में विश्व विख्यात कथाकार संत रमेश भाई ओझा पधारे। ऋषिकुमारों ने पुष्पवर्षा और शंख ध्वनि से उनका अभिनन्दन किया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और भाई श्री की भेंटवार्ता हुई। स्वामी और भाई श्री ने हैंड वाशिंग डे की पूर्व संध्या पर ‘हैंड वाशिंग और हार्ट वाशिंग’ का संदेश देते हुये सभी को संकल्प कराया। ग्लोबल हैंडवाशिंग डे है, जो एक वैश्विक दिवस है, यह बीमारियों को रोकने और जीवन बचाने के लिए एक सस्ता, सहज और प्रभावी कदम है। यह दिन साबुन से हाथ धोने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि स्वच्छता हमारी आवश्यकता ही नहीं बल्कि जीवनशैली भी है। स्वच्छता भारतीय संस्कृति के आदर्श स्वरूप में शामिल है परन्तु इस समय उसे अपने विचार और व्यवहार में दृढ़ता से स्थापित करने की जरूरत हैं। स्वामी जी ने कहा कि स्वच्छता भारतीय दर्शन के केंद्र में हैं। स्वच्छता, स्वस्थ रहने की प्रथम सीढ़ी हैं और वह ईश्वर भक्ति के समान है, इसलिये हाथों की स्वच्छता के साथ ही शरीर और पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। रमेश भाई ने कहा कि हाथों की स्वच्छता में व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण निहित है। भगवद् गीता में आंतरिक और बाहरी दोनों स्वच्छता के महत्व को बड़ी ही सहजता से समझाया गया है। हिंदू धर्म में न केवल बाहरी स्वच्छता बल्कि आंतरिक स्वच्छता अर्थात शुचिता व पवित्रता का उल्लेख किया गया है। स्वच्छ शरीर और शुद्ध मन से ही प्रभु को प्राप्त किया जा सकता है। काम, क्रोध, लोभ, ईष्र्या, अहंकार आदि के दोषों से मुक्ति ही आंतरिक शुद्धता है उसी प्रकार अपने हाथ, शरीर और पर्यावरण को शुद्ध रखना नितांत आवश्यक है क्योंकि स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता हैं इसलिये आईये साबुन के साथ हाथ धोने की आदत को जीवन का अंग बनाये। साबुन से हाथ धोना स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के सबसे सस्ते और प्रभावी तरीकों में से एक है, जो कि सबसे कम लागत पर स्वस्थ रहने का एक श्रेष्ठ माध्यम भी है। आंकड़ों के अनुसार साबुन के साथ सही तरीके से हाथों को न धोने से 23 प्रतिशत तक तीव्र श्वसन संक्रमण हो सकता है, 30-48 प्रतिशत तक डायरिया का खतरा बना रहता है तथा शिशु मृत्यु दर में 27 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है। हैंड वाशिंग डे की पूर्व संध्या पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और श्री रमेश ओझा जी ने सभी को साबुन और पानी के साथ सही तरीके से हाथ धोने का संकल्प कराया। स्वामी जी ने रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट कर भाई श्री का अभिनन्दन किया।