उत्तराखंड समाचार

हल्द्वानी में तीन घंटे में 140 एमएम बारिश, कई सालों का टूटा रिकॉर्ड

पहले एक जुलाई 2011 को सर्वाधिक 135.8 एमएम बारिश रिकॉर्ड हुई थी।

हल्द्वानी।हल्द्वानी में तीन घंटे में कुल 140 एमएम बारिश ने कई सालों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। इससे पहले एक जुलाई 2011 को सर्वाधिक 135.8 एमएम बारिश रिकॉर्ड हुई थी. में शनिवार सुबह एक घंटे 117 तथा तीन घंटे में कुल 140 एमएम बारिश ने कई सालों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। इससे पहले एक जुलाई 2011 को सर्वाधिक 135.8 एमएम बारिश रिकॉर्ड हुई थी। मौसम वैज्ञानिकों ने इतने कम समय में ज्यादा बारिश को बादल फटने जैसी स्थिति बताया है। हालांकि जिला प्रशासन इसे अतिवृष्टि बता रहा है।इस दौरान तेज गर्जना के साथ बिजली भी कई बार चमकी और लोग सहम गए। तेज बारिश ने लोगों को घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया। दोपहर तक रिमझिम रिमझिम बरसात रही। मौसम विभाग ने अगले दो तीन दिन और बारिश की संभावना जताई है। शाम तक 145 एमएम बारिश रिकॉर्ड हुई है। बारिश सुबह पौने सात बजे से शुरू हुई। इस दौरान इतनी तेज बारिश हुई कि नदी, नाले उफना गए और जगह-जगह जलभराव की स्थिति पैदा हो गई। बारिश ने लोगों के पैर थाम लिए और लोग घरों में रहने को मजबूर रहे। बारिश के कारण सड़कों पर वाहनों की संख्या भी काफी कम रही। एक बार हल्की होने के बाद बारिश ने फिर तेज गति पकड़ ली और उसके बाद दोपहर डेढ़ बजे तक रिमझिम बरसात जारी रही।मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि एक घंटे में 117 एमएम बारिश और तीन घंटे में 140 से ज्यादा बारिश बादल फटने पर होती है। हालांकि इस दौरान कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।बारिश को देखते हुए डीएम धीराज गर्ब्याल ने पहले दिन ही जिले के स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया था। इसका परिणाम यह रहा है कि शनिवार को जिले भर के स्कूल बंद रहे और अभिभावकों को भी सुकून मिला। द्वितीय शनिवार को अवकाश रहने के कारण सरकारी कार्यालय भी बंद रहे। शनिवार को साप्ताहिक बंदी के कारण बाजार भी पूरी तरह बंद रहा, जिससे सड़कों में सन्नाटा पसरा दिखा। खासकर स्कूली बच्चों की छुट्टी से अभिभावकों और स्कूल प्रशासन ने राहत की सांस ली।शनिवार को हुई बारिश ने खेतों में नई जान पैदा कर दी। मुख्य कृषि अधिकारी विकेश यादव ने बताया कि धान समेत खरीफ की फसल की खेती के लिए पर्याप्त बारिश हो गई है। बारिश से उम्मीद है कि इस बार धान की फसल अच्छी होगी। इधर मुख्य उद्यान अधिकारी डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि लीची, आम, कटहल समेत फल और मौसमी सब्जियों के लिए बारिश काफी लाभदायक सिद्ध होगी।एक जुलाई में 2011 में सर्वाधिक 135.8 एमएम बारिश रिकार्ड हुई है। इसके बाद 2014 में 112.6 एमएम बारिश हुई। वर्ष 2012 में जुलाई माह में 11 जुलाई को 30.2 एमएम बारिश हुई। 2013 में 14 जुलाई को 27.6 एमएम, 2014 में 11 जुलाई को 26.6एमएम, एक जुलाई 2015 को 65.2, नौ जुलाई 2016 को 37.6, सात जुलाई 2017 में 108.4 एमएम, 12 जुलाई 2018 में 90 एमएम, नौ जुलाई 2019 में 43.2, आठ जुलाई 2020 में 99.8 और 11 जुलाई 2021 में मात्र 27.2 एमएम ही बारिश हुई। जबकि इस बार यह आंकड़ा सर्वाधिक 140 एमएम पहुंच गया।

 

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