उत्तराखंड समाचार

आजादी के अमृत वर्ष में पिथौरागढ़ जिले वनराजि परिवारों को मिला भूमि का मालिकाना हक

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वनराजियों के लिए 200 आवासों की स्वीकृति केंद्र से मिल चुकी है।

पिथौरागढ: वन भूमि में बसे सीमांत जिले के वनराजि परिवारों को आजादी के 75 वें साल में बड़ी सौगात मिली है। शासन ने तीन गांवों के 28 परिवारों को भूमि पर मालिकाना हक दे दिया है। हक मिल जाने से अब वनराजि परिवार सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।वनराजि गांवों में पहुंचे प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष मूरत राम शर्मा और उपाध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने किमखोला, भक्तिरखा और चिफलतरा गांवों के 28 वनराजि परिवारों को भूमि पर मालिकाना हक के अधिकार पत्र वितरित किए।उन्होंने वनराजि परिवारों की समस्याएं सुनी और मौके पर ही कई समस्याओं का समाधान किया।उन्होंने कहा कि वनराजि परिवारों की समस्याओं का तेजी से समाधान हो रहा हे। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वनराजियों के लिए 200 आवासों की स्वीकृति केंद्र से मिल चुकी है। जल्द ही आवास निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने वनराजि परिवारों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया।इस अवसर पर पूर्व विधायक गगन सिंह रजवार, जिला समाज कल्याण अधिकारी मौजूद रहे। अर्पण संस्था की खीमा जेठी ने वनराजि परिवारो को भूमि पर मालिकाना हक दिए जाने की सराहना करते हुए डीडीहाट के पूर्व उप जिलाधिकारी केएन गोस्वामी का आभार जताया है।उत्तराखंड की एकमात्र आदिम जनजाति वनराजि पिथौरागढ़ और चंपावत जनपद में निवास करती है। पिथौरागढ जिले में इस जनजाति के 11 गांव हैं। इन गांवों की कुल आबादी एक हजार से भी कम है। चंपावत जनपद में वनराजियों का सिर्फ एक गांव है।वनराजि परिवार लंबे समय तक समाज की मुख्य धारा से दूर जंगलों में ही रहे। धीरे-धीरे इन्हें मुख्य धारा में शामिल किया गया। वनराजि परिवार वन भूमि पर बसे हुए हैं, जिस पर इन्हें मालिकाना हक नहीं मिल पाया था। अब सरकार इन्हें भूमि पर मालिकाना हक दे रही है।

 

 

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