मक्के की विकसित किस्म का व्यवसायीकरण करेगा पंत विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र की कंपनी से करार
विवि ने पन्त पोपकोर्न -एक का प्रजनक बीज मानसून कंपनी को उपलब्ध कराएगा।
पंतनगर: गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने विकसित मक्के की पहली किस्म पन्त पॉपकॉर्न -एक का व्यवसायीकरण के लिए मानसून बीज कंपनी पुणे, महाराष्ट्र के बीच करार हुआ है। कंपनी को बीज उत्पादन करने के साथ ही बाजार में उपलब्ध कराने के लिए कई अधिकार दिए हैं। इससे विवि की आय में इजाफा में होगा।विवि ने पहली बार व्यावसायीकरण किया है और इसके लिए लिए विवि करीब दो साल से प्रयासरत रहा। पंत विवि ने मक्के एक प्रजाति विकसित की तो इसे एवं भारत सरकार की ओर से अधूसूचित कर किया गया। विवि व कंपनी के बीच शुक्रवार को एमओयू हुआ। विवि ने पन्त पोपकोर्न -एक का प्रजनक बीज मानसून कंपनी को उपलब्ध कराएगा। जिसके बदले में कंपनी लाइसेंस शुल्क एवं रायल्टी विवि को देगी। कृषि मंत्री गणेश जोशी के पंतनगर विश्वविद्यालय की हाल ही में संपन्न प्रथम समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिया गया था कि विवि को अपने वित्तीय संसाधनों को बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। विवि ने प्रथम बार विवि ने विकसित किसी किस्म का व्यवसायीकरण किया है।अभी तक विवि अपनी उन्नतशील किस्मों को अपने ही शोध केंद्रों के माध्यम से किसानों को बिक्री करता था। जिसका फायदा बहुत कम किसान ही उठा पाते थे, लेकिन इस पहल के बाद किसान न केवल विवि से वरन अपने घर के पास स्थित बीज स्टोरों से भी बीज क्रय कर पाएंगे। जिससे किसानो को समय के साथ साथ किराए की भी बचत होगी।विवि के शोध निदेशक डाक्टर अजीत सिंह नैन ने बताया कि विवि तकनीकों एवं फसल किस्मों के व्यवसायीकरण के लिए पिछले दो वर्षों से प्रयासरत था। पिछले वर्ष निदेशक विधि की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय टास्क फ़ोर्स का गठन किया था। जिसकी संस्तुति के आधार पर दिसंबर, 2021 में संपन्न बोर्ड बैठक में विवि में एक पन्त बिज़नस पार्क के गठन की स्वीकृति प्रदान की गई। शोध निदेशालय में संयुक्त निदेशक बौधिक संपदा केंद्र की नियुक्ति की गई। इस मौके पर कुलपति डा. एके शुक्ला, निदेशक विधि डा. आशुतोष सिंह, मक्का प्रजनक डा. एनके सिंह, सयुंक्त निदेशक डा. एमएस नेगी की उपस्थितिमें अनुबन्ध पर निदेशक शोध डा. अजीत सिंह नैन, मानसून बीज कंपनी, पुणे के प्रबंध निदेशक अमरनाथ यादव ने हस्ताक्षर किए। यह अनुबन्ध अगले पांच वर्षों के लिए अनुमन्य होगा एवं साथ ही दोनों पक्षों की रजामंदी से इस अनुबंध को आगे भी बढाया जा सकेगा।