अघोषित विद्युत कटौती समेत कई मागों को लेकर गरजे किसान
किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि जहां एक ओर अधिकारी मनमानी कर रहे हैं।
रुड़की: अघोषित बिजली कटौती और बिजली की बढ़ाई गई दरों के विरोध में किसानों ने ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता (ईई) ग्रामीण के कार्यालय के बाहर धरना दिया। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि जहां एक ओर अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार बिजली की दरें बढ़ाकर किसान तथा आम जनता का उत्पीड़न कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्पीड़न किसी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भारतीय किसान यूनियन और उत्तराखंड किसान मोर्चा के पदाधिकारी और कार्यकत्र्ताओं ने ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता ग्रामीण के कार्यालय पर संयुक्त रूप से धरना दिया। इस मौके पर किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड ने कहा कि इस समय ग्रामीण क्षेत्रों में छह से आठ घंटे की बिजली कटौती की जा रही है। जिससे किसानों को सिचाई करने में परेशानी खड़ी हो रही है। एक तो पहले से ही डीजल काफी महंगा हो गया है। ऐसे में बिजली की कटौती किसानों को परेशान कर रही है। उन्होंने कहा कि हाल ही में सरकार ने बिजली की दरें बढ़ाई हैं। जिससे किसानों के साथ-साथ आज जनता की जेब पर भार पड़ा है। किसानों की फसलों पर होने वाली लागत भी बढ़ गई है। जबकि, किसानों को उसके सापेक्ष दाम नहीं मिल रहा है। ऐसे में किसानों की समस्या को देखते हुए और जनहित में बिजली की बढ़ाई गई दरें वापस ली जाएं। वहीं धरने को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो किसान आंदोलन को बाध्य होंगे। वहीं भाकियू के जिलाध्यक्ष विजय कुमार शास्त्री ने कहा कि छापेमारी के नाम पर किसानों का उत्पीड़न हो रहा है। विजिलेंस की टीम गलत चेकिग रिपोर्ट भर रही है। जिससे किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इस तरह का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं होगा। बिजली चेकिग के नाम पर किसानों का उत्पीड़न बंद करने की मांग की। साथ ही बिजली कटौती बंद करने तथा बिजली की बढ़ाई गई दरें वापस लेने की मांग की गई। इस मौके पर किसानों ने मांग संबंधी ज्ञापन भी सौंपा। इस दौरान विवेक चौधरी, सुखपाल सिंह, दीपक पुंडीर, वेदपाल पंवार, कुलदीप चौधरी, देवेंद्र, मनोज कुमार, अभिषेक कुमार, ऋषिपाल, रामपाल सिंह आदि किसान मौजूद रहे।