‘‘उत्तराखण्ड शौर्य सम्मान मण्डल अभियान’’ ने किया कृषि मंत्री गणेश जोशी को सम्मानित
सम्मान मण्डल के सदस्य डॉ0 अरविंद दरमोड़ा ने बताया कि अब तक इस अभियान के तहत 190 हिडन हीरोज को चिन्हित किया गया है।
देहरादून 07 मई, ‘‘डाल्यों का दगडिया’’ संस्था की ओर से संचालित ‘‘उत्तराखण्ड शौर्य सम्मान मण्डल अभियान’’ द्वारा कृषि मंत्री गणेश जोशी को उनके शिविर कार्यालय में सम्मान पत्र, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। कृषि मंत्री द्वारा राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन की समस्या को संबोधित करने के लिए कृषि तथा बागवानी के कार्योंं को दिए जा रही प्राथमिकता एवं प्रोत्साहन तथा उत्तराखण्ड राज्य के इतिहास में पहली बार राज्य के शहीदों को सम्मान दिलाने के लिए राज्यव्यापी शहीद सम्मान यात्रा के आयोजन के लिए संस्था द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया। अंतरिम सरकार (2000-2002) में कैबिनेट मंत्री रहे मोहन सिंह रावत ‘‘गांववासी’’ जो कि ‘‘उत्तराखण्ड शौर्य सम्मान मण्डल अभियान’’ के संरक्षक हैं, ने बताया कि श्रीनगर गढ़वाल स्थित ‘‘डाल्यों का दगडिया’’ सामाजिक संस्था जो कि ‘‘राष्ट्रीय इंदिरा गांधी वृक्ष मित्र पुरस्कार’’ से सम्मानित है के माध्यम से यह मण्डल अभियान वर्ष 2015 से संचालित किया जा रहा है।
अनसंग हीरोज् (गुमनाम नायकों) को किया जाता है सम्मानित :- गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रो0 मोहन सिंह पंवार जो कि इस अभियान के सदस्य भी हैं, ने बताया कि राज्य में अपने अनूठे एवं समाजोपयोगी मिशन के द्वारा अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके सामाजिक रत्नों को ‘‘उत्तराखण्ड शौर्य सम्मान मण्डल अभियान’’ द्वारा उनके कार्यस्थल पर स्वयं जा कर सम्मानित किया जा रहा है। ‘‘हम विशेष तौर पर ऐसे अनसंग हीरोज् को खोज कर समाज के सामने ला रहे हैं, जो अपने – अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य तो कर रहे हैं परंतु प्रचार-प्रसार से बहुत दूर, चुपचाप अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। सम्मान मण्डल के सदस्य डॉ0 अरविंद दरमोड़ा ने बताया कि अब तक इस अभियान के तहत 190 हिडन हीरोज को चिन्हित किया गया है। जिन्हें सम्मानित किया जा रहा है और इनके कामों को ’’आशा की किरणें’’ नाम से संकलित कर राज्य सरकार, केन्द्र सरकार तथा संबंधित विभागों को भेजा जा रहा है।
इन्हें किया गया है सम्मानित – जनपद रूद्रप्रयाग के जगत सिंह चौधरी जंगली – 60 प्रकार की बृ़़क्षों के प्रजातियों को एक ही क्षेत्र में उगाया और वन खेती का मॉडल स्थापित किया। सुरजीत सिंह बरनाला भी विजिट कर चुके हैं।