अब गांवों में जाकर सर्वे करेगी गन्ना विभाग की टीम
किसानों का गुस्सा किसी भी दिन फूट सकता है।
रुड़की: स्थानीय किसानों की पर्चियां रोककर बाहरी क्षेत्र से गन्ना खरीदने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। किसानों का गुस्सा किसी भी दिन फूट सकता है। ऐसे में गन्ना विभाग ने गन्ना पर्यवेक्षकों की टीम को गांव में भेजकर गन्ने का सर्वे कराना शुरू कर दिया है। जिन किसानों का गन्ना खत्म हो चुका है उनका बेसिक कोटा बंद किया जाएगा।
हरिद्वार जिले में किसानों की सबसे बड़ी समस्या गन्ना पर्चियां बनी हुई हैं। किसानों को गन्ने की पर्चियां नहीं मिल पा रही हैं। जबकि, कुछ रसूखदार किसान बड़े पैमाने पर गन्ने की पर्चियां लेकर उन पर उप्र का गन्ना चीनी मिलों में तुलवा रहे हैं। इसे लेकर किसानों में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। आएदिन चीनी मिल एवं गन्ना विभाग के दफ्तरों पर हंगामे हो रहे हैं। किसान आरोप लगा रहे हैं कि चीनी मिलें बाहर का गन्ना खरीद रही हैं, जबकि चीनी मिलों की मानें तो जिन किसानों का गन्ना समाप्त हो चुका है, वह दूसरे किसानों को पर्चियां देकर चीनी मिल को गन्ने की आपूर्ति करा रहे है। नियमानुसार वह ऐसे किसानों को नहीं रोक सकते हैं। इसको लेकर गन्ना आयुक्त शैलेन्द्र सिंह ने इकबालपुर, लक्सर एवं लिब्बरहेड़ी के ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि सभी गन्ना पर्यवेक्षक गांव में जाकर सर्वे करें। किसानों के पास पौधशाला को छोड़कर कितना गन्ना बचा है, इसकी रिपोर्ट दें। जिन किसानों का गन्ना समाप्त हो चुका है, उनके बेसिक कोटे को बंद कर दिया जाएगा ताकि दूसरे किसानों को इसका लाभ मिल सके।
साबतवाली गांव स्थित भारतीय किसान क्लब के कार्यालय पर हुई बैठक में क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी कटार सिंह ने कहा कि इकबालपुर चीनी मिल से जुड़े किसानों का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न किया जा रहा है। जब पेराई सत्र की शुरुआत की गई तक किसानों को गन्ने की पर्चियां नहीं मिल पाई। इसकी वजह से किसान गेहूं की बुआई से वंचित रह गए। अब किसानों को समय से गेहूं की कटाई करनी है, लेकिन खेतों से गन्ना ही समाप्त नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं चीनी मिल की ओर से किसानों को अभी तक जनवरी माह तक का ही भुगतान दिया गया है। जबकि, अप्रैल माह का एक सप्ताह समाप्त हो चुका है।