उत्तराखंड समाचार

सिख समुदाय की विवाह प्रक्रिया आनंद कारज को लेकर हाई कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को दिए ये निर्देश

याचिकाकर्ता के अनुसार 2012 में संसद की मंजूरी के बाद आनंद विवाह अधिनियम में संशोधन किया गया था।

, नैनीताल : हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में सिख समुदाय की विवाह प्रक्रिया आनंद कारज पंजीकरण को लेकर दायर जनहित याचिका का निपटारा कर दिया है। कोर्ट ने राज्य में आनंद विवाह अधिनियम के शादियों के पंजीकरण के लिए उचित कदम उठाने, नियमों का मसौदा तैयार कर कैबिनेट के समक्ष रखने व कैबिनेट की मंजूरी के बाद नोटिफिकेशन प्रकाशित करने के लिए भी कदम उठाने के निर्देश मुख्य सचिव को दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि आनंद विवाह अधिनियम, 1909 के तहत सिख समुदाय के विवाह के पंजीकरण के लिए राज्य में आवश्यक नियम बनाए जाने चाहिए।शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में अधिवक्ता अमनजोत सिंह चड्ढा की जनहित याचिका का दिशा निर्देश जारी करते हुए निस्तारण किया गया है। याचिका में कहा गया है कि आनंद कारज ( सिख विवाह समारोह ) विवाह की उत्पत्ति सिख धर्म से ही मानी जाती है। आनंद कारज समारोह को मान्यता देने के लिए, एक सदी से भी अधिक समय पहले, इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने आनंद विवाह अधिनियम 1909 अधिनियमित किया था, जो कि आनंद कारज के नाम से जाने जाने वाले सिखों बीच आम विवाह समारोह को कानूनी मंजूरी देने और किसी भी संदेह को दूर करने के लिए उनकी वैधता प्रदान करता था।बिल 22 अक्टूबर 1909 को आनंद विवाह अधिनियम, 1909 के रूप में पारित किया गया। याचिकाकर्ता के अनुसार 2012 में संसद की मंजूरी के बाद आनंद विवाह अधिनियम में संशोधन किया गया था। नए संशोधन के तहत राज्य सरकार पर सिख विवाहों के पंजीकरण की सुविधा के लिए नियम बनाने का दायित्व है, मगर आज तक उत्तराखंड सरकार की ओर से पंजीकरण के नियम नहीं बनाए गए हैं।याचिका में संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का हवाला देते हुए कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और धार्मिक पहचान बनाए रखने का अधिकार है। पारंपरिक सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं के माध्यम से विवाह सिख धर्म से संबंधित जोड़े की धार्मिक पहचान के साथ जुड़े हुए हैं। राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण सिख जोड़ों का अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखने का अधिकार प्रभावित हो रहा है।सिख धर्म में शादी को आनंद कारज कहा जाता है। आनंद कारज के लिए लग्न, मुहूर्त, नक्षत्रों की गणना, जन्मपत्रियों के मिलान के लिए कोई जगह नहीं है। जबकि हिंदू मैरिज में यह सब चीजें काफी अहमियत रखती हैं। भगवान पर आस्था रखने वालों के लिए आनंद कारज के लिए सभी दिन पवित्र माने गए हैं। आनंद कारज में सिखों की शादी गुरु ग्रंथ साहिब जी के सामने चार फेरे या फिर लावां लेकर ही पूरी होती है। वहीं हिंदू मैरिज में सात फेरे लेने पड़ते हैं। जानकारों का कहना है कि इन सब वजहों से ही सिखों की शादियां, हिंदू मैरिज एक्ट के तहत होने वाली शादियों से अलग होती हैं।

 

 

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