जोर-शोर से चल रही झंडे मेले की तैयारी
दरबार साहिब के करीब 346 वर्षों के इतिहास को यह भित्ति चित्र कई उदाहरणों से सजीव करने का काम कर रहे हैं।
देहरादून। 22 मार्च से शुरू होने जा रहे झंडे मेले की दरबार साहिब में जोर-शोर से तैयारी चल रही है। दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज ने दरबार साहिब की दीवारों पर बने भित्ति चित्रों का रंग रोगन किया।
दरबार साहिब मेला व्यवस्थापक केसी जुयाल ने बताया श्री झंडा मेले की तैयारी पूरी हो चुकी है। दरबार साहिब को रंग रोगन कर सजाया जा रहा है। दीवारों पर कलाकारों की ओर से बनाए गए भित्ति चित्रों को दरबार साहिब के श्रीमंहत देवेंद्र दास महाराज की ओर से रंगों से सजाया गया। साज सज्जा के लिए एक विशेष टीम दरबार साहिब में काम कर रही है। भित्ति चित्रों को पानी, धूल, प्रदूषण, धूप व मौसम की मार से बचाने के लिए विशेष तकनीकी सुरक्षा का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन चित्रों में कई देवी-देवताओं की आकृति बनाई गई है।
दरबार साहिब के करीब 346 वर्षों के इतिहास को यह भित्ति चित्र कई उदाहरणों से सजीव करने का काम कर रहे हैं। टैंपरा तकनीक भित्ति चित्र बनाने की एक पारंपरिक तकनीक है। एतिहासिक इमारतों पर भित्ति चित्रों को तैयार करने में यह तकनीक आज भी बहुत प्रचलित व पसंदीदा है। टैंपरा चित्रण की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें संश्लेषयुक्त पदार्थ (बाइंडिंग मैटीरियल के साथ) जलीय रंगों (वाटर कलर तकनीक) का प्रयोग करते हैं। इसमें किसी भी प्रकार के हानिकारिक रसायनिक रंगों का प्रयोग से नहीं किया जाता है। इन रंगों का प्रभाव दीघ्रकालिक होता है। विभिन्न प्रजातियों की दुर्लभ वनस्पितियों से प्राकृतिक रंगों को तैयार श्री दरबार साहिब की दीवारों के भित्ति चित्रों पर उकेरा गया है।
श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज ने अपने संदेश में कहा कि भित्ति चित्रों का संरक्षण एवं संवद्र्धन हम सब की जिम्मेदारी है। उन्होंने मेले के दौरान आने वाली संगत व दूनवासियों को आह्वान किया कि इन भित्ति चित्रों की सुंदरता को निहारें और इनमें छिपे संदेशों को आत्मसात करें। इतिहास के विद्यार्थी व शोधार्थी इन भित्ति चित्रों से जुड़ी महत्वपूर्णं जानकारियां लेकर अपने शोधपत्रों में वर्णित कर सकते हैं।