ग्लोबल वार्मिंग का भारतीय मानसून पर बुरा प्रभाव
मानसून ही तय करता है कि इस बार फसल कैसी होगी।
देहरादून। मानसून भारत में साल भर की सबसे महत्वपूर्ण बारिश की प्रक्रिया है। हर साल जून से सितंबर तक भारत में मानसून का मौसम रहता है। इसका सीधा प्रभाव देश के किसानों, नागरिकों और इसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। मानसून ही तय करता है कि इस बार फसल कैसी होगी। भारत के मौसम विज्ञान विभाग ने बताया है कि जून 2024 महीने की वर्षा सामान्य से 20% कम हुई है। हालांकि मौसम विभाग ने इस वर्ष की शुरुआत में अच्छे मानसून की घोषणा की थी। परंतु जून माह में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ने के कारण मानसून सुस्त हो गया है।वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गर्म हवा मानसून का पैटर्न बिगाड़ रही है। बारिश वाले दिनों की संख्या कम होती जा रही है। मौसम परिवर्तन के कारण कहीं एक ही जगह बहुत बरसात हो रही है और कहीं सूखा पड़ रहा है। इस साल विश्वभर में बाढ़ और सूखे की घटनाओं में इजाफा देखने को मिला है। जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए मनुष्य की जीवन शैली में परिवर्तन बहुत जरूरी हो गया है। जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को कम करते जाना होगा और ऊर्जा के पर्यावरण हितैषी साधनों का प्रयोग बढ़ाना पड़ेगा।