उत्तराखंड समाचार

अनुसंधान-विकास को गति देने को सुपरकम्प्यूटिग केंद्र स्थापित

कहा कि 'परम गंगा' एक नई उच्चस्तरीय कम्प्यूटेशनल सेवा है

रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में अनुसंधान और विकास को गति देने के लिए भारत में निर्मित पेटास्केल सुपर कम्प्यूटर स्थापित किया गया है। सेंटर फार डेवलपमेंट एडवांस कम्प्यूटिग (सी-डेक) की ओर से सुपरकम्प्यूटिग इंफ्रास्ट्रक्चर 1.66 को नेशनल सुपरकम्प्यूटिग मिशन के अंतर्गत स्थापित करने से विज्ञान और इंजीनियरिग के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बहुआयामी क्षेत्र में गति प्राप्त होगी। साथ ही इससे आइआइटी रुड़की और उसके आसपास की शैक्षणिक संस्थानों के उपभोक्ता वर्ग को कम्प्यूटेशनल पावर उपलब्ध होगी। यह विज्ञान और तकनीकी विभाग (डीएसटी) और इलेक्ट्रानिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का संयुक्त प्रयास है।आइआइटी रुड़की में  परम गंगा सुपरकम्प्यूटिग केंद्र का उद्घाटन आइआइटी रुड़की के बोर्ड आफ गवर्नर्स के चेयरमैन बीवीआर मोहन रेड्डी, आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजित के. चतुर्वेदी और नेशनल सुपरकम्प्यूटिग मिशन (एनएसएम) के मिशन निदेशक डा. हेमंत दरबारी ने किया। उद्घाटन कार्यक्रम में आइआइटी रुड़की के बोर्ड आफ गवर्नर्स के चेयरमैन बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा कि संस्थान अनुसंधान विकसित करने की क्षमता को सुपरकम्प्यूटिगइंफ्रास्ट्रक्चर से पूरा करेगा। कहा कि ‘परम गंगा’ के क्रिटिकल कंपोनेंट्स, जैसे कम्प्यूट नोड्स के लिए तैयार किए गए मदर बो‌र्ड्स और डायरेक्ट कान्टेक्ट लिक्विड कूलिग डाटा सेंटर्स को भारत सरकार की पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अंतर्गत भारत में ही बनाया गया है। एनएसएम के मिशन निदेशक डा. हेमंत दरबारी ने कहा कि पेटास्केल/ पीटास्केल सुपरकम्प्यूटर को भारत में निर्मित कंपोनेंट्स की मदद से बनाने के पीछे का मूल उद्देश्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के रास्ते पर आगे बढ़ना है ताकि समस्याओं को सुलझाने की क्षमता को सभी क्षेत्रों में बढ़ाया जा सके। कहा कि ‘परम गंगा’ एक नई उच्चस्तरीय कम्प्यूटेशनल सेवा है। इसकी सहायता से इस क्षेत्र में अनुसंधान करने वालों की अनेक विषम समस्याएं, जोकि राष्ट्रीय महत्व की हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डालती हैं, उनका निदान हो सकेगा। यह नवीन हाई परफार्मेंस कम्प्यूटिग (एचपीएस) अधोसंरचना वर्तमान के एसेंशियल कम्प्यूट एनवायरनमेंट के क्षेत्र में अनुसंधान के सैद्धांतिक और व्यावहारिक कार्य का आवश्यक अंग होगी। आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजित के. चतुर्वेदी ने कहा कि भारत में नेशनल सुपरकम्प्यूटिग मिशन 2015 में शुरू किया गया था। इसका मूल उद्देश्य कम्प्यूट पावर के कमी वाले क्षेत्रों में उच्चस्तरीय अनुसंधानों का पोषण करना है। इस मिशन के अंतर्गत आइआइटी रुड़की और सी-डेक ने ‘परम गंगा’ को संभव बनाने के लिए हाथ बढ़ाए हैं। इससे आइआइटी रुड़की में अनुसंधान की गतिविधियों को कई क्षेत्रों में बल मिलेगा। इस मौके पर विज्ञानी सुनीता वर्मा, उप निदेशक प्रोफेसर मनोरंजन परिदा, एकेडमी अफेयर्स के डीन प्रो. अपूर्बा कुमार शर्मा, डीन आफ स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. एमके बरुआ, संजय वांधेकर आदि उपस्थित रहे।

 

 

 

 

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