देहरादून। उत्तराखंड में आज पहाड़ से मैदान तक होलिका पूजन किया जा रहा है। कल सोमवार को रंग खेला जाएगा। शहर में जगह-जगह होलिका लगाई गई है। शहरवासियों ने विधि-विधान से होलिका पूजन किया। देशभर के साथ ही देवभूमि उत्तराखंड के कोने-कोने में आज होली की धूम मची रहीं। महिलाओं ने सज संवर कर बच्चों के साथ होलिका का पूजन किया। दून के मुख्य बाजार पीपल मंडी में वर्षों से होली पूजन का विशेष प्रबंध किया जाता रहा है। यहां शहर के सभी लोग पूजन करने के लिए आते हैं। क्षेत्र में होलिका पूजन का विशेष महत्व है। होलिका पूजन के अंतर्गत समाजिक संगठन लकड़ी इकट्ठी करके मोहल्लों, गलियों और सार्वजनिक स्थानों पर लगाते हैं। यहां सभी महिलाएं विधि-विधान से होलिका पूजन करती हैं। होली पूजन के बाद निर्धारित समय पर होलिका दहन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, मान्यता है कि पुत्र प्रह्लाद की भक्ति से परेशान होकर पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को मारने के लिए कहा था। कहा जाता है कि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसको आग जला नहीं सकती। इसी वरदान के कारण होलिका भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर पर बैठ गईं। लेकिन भक्त प्रह्लाद का श्रीहरि में अटूट विश्वास था। इसलिए प्रह्लाद को आंच तक नहीं आई और होलिका जलकर राख हो गईं। वहीं, होलिका पूजन करने आई महिलाओं ने कहा कि होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. इसीलिए सभी महिलाएं होली पूजन करती हैं. अपने परिवार में अपने बच्चों की दीर्घायु के लिए होलिका मैया से प्रार्थना करती हैं। होली का पर्व एक-दूसरे की गलतियों को भुलाकर आपसी भाईचारे और प्रेम सौहार्द का पर्व है।