संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के ‘प्रोजेक्ट अमृत’का सफल आयोजन
कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संत निरंकारी मिशन की वेबसाईट के माध्यम से किया गया
देहरादून 25 फरवरी। सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित की छत्रछाया में प्रातः 8.00 बजे ‘अमृत प्रोजेक्ट’के अंतर्गत ‘स्वच्छ जल, स्वच्छ मन’परियोजना के दूसरे चरण का शुभारम्भ यमुना नदी के छठ घाट, आई.टी.ओ, दिल्ली से किया गया। बाबा हरदेव सिंह महाराज की शिक्षाओं से प्रेरित यह परियोजना समस्त भारतवर्ष के 27 राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के 1533 से अधिक स्थानों पर 11 लाख से भी अधिक स्वंयसेवकों के सहयोग से एक साथ विशाल रूप में आयोजित की गई। संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में बाबा हरदेव सिंह की अनंत सिखलाईयों से प्रेरणा लेते हुए ‘प्रोजेक्ट अमृत’का आयोजन किया गया। इस वर्ष ‘आओ संवारे, यमुना किनारे’के मूल संदेश द्वारा इस परियोजना को एक जन-जागृति का रूप प्राप्त हुआ। इस अवसर पर संत निरंकारी मिशन के सभी अधिकारीगण, गणमान्य अतिथि तथा हजारों की संख्या में स्वयंसेवक और सेवादल के सदस्य सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संत निरंकारी मिशन की वेबसाईट के माध्यम से किया गया जिसका लाभ देश एवं विदेशों में बैठे सभी श्रद्धालु भक्तों ने प्राप्त किया। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के हजारों छात्रों एवं शिक्षकों के साथ-साथ कई संस्थाओ व पर्यावरण संरक्षण से जुड़े हुए अनेक गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया। रेडियो चैनल 92.7-बिग एफ.एम. एवं भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की भी इस अवसर पर भागीदारी रही। ‘प्रोजेक्ट अमृत’के दूसरे चरण का आरम्भ करते हुए निरंकारी राजपिता रमित ने सतगुरु माता से पूर्व अपने संबोधन में कहा कि बाबा हरदेव सिंह ने अपने जीवन से हमें यही प्रेरणा दी कि सेवा की भावना निष्काम रूप में होनी चाहिए न की किसी प्रसंशा की चाह में। हमें सेवा करते हुए उसके प्रदर्शन का शोर करने की बजाय उसकी मूल भावना पर केन्द्रित रहना चाहिए। हमारा प्रयास स्वयं को बदलने का होना चाहिए क्योंकि हमारे आंतरिक बदलाव से ही समाज एवं दुनियां में परिवर्तन आ सकता है। एक स्वच्छ और निर्मल मन से ही सात्विक परिवर्तन का आरम्भ होता है। सतगुरु माता ने प्रोजेक्ट अमृत के अवसर पर अपने आर्शीवचनों में फरमाया कि हमारे जीवन में जल का बहुत महत्व है और यह अमृत समान है। जल हमारे जीवन का मूल आधार है। परमात्मा ने हमें यह जो स्वच्छ एवं सुंदर सृष्टि दी है, इसकी देखभाल करना हमारा कत्र्तव्य है। मानव रूप में हमने ही इस अमूल्य धरोहर का दुरुपयोग करते हुए इसे प्रदूषित किया है। हमें प्रकृति को उसके मूल स्वरूप में रखते हुए उसकी स्वच्छता करनी होगी। हमें अपने कर्मो से सभी को प्रेरित करना है न कि केवल शब्दों से। कण -कण में व्याप्त परमात्मा से जब हमारा नाता जुड़ता है और जब हम इसका आधार लेते है तब हम इसकी रचना के हर स्वरूप से प्रेम करने लगते है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि जब हम इस संसार से जाये तो इस धरा को और अधिक सुंदर रूप में छोड़कर जाये।इसी श्रृंखला में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर तमसा नदी को और आस पास के क्षेत्रों का कई कुंतल कचरा निरंकारी सेवादल के भाई बहन एवं साध संगत ने एकत्रित करके नगर निगम को सौंपा। मसूरी ज़ोन के जोनल इंचार्ज हरभजन सिंह एवं ब्रांच संयोजक नरेश विरमानी और संचालक मंजीत सिंह के नेतृत्व में समस्त सेवाओं को सुन्दर रूप प्रदान किया गया। मुख्य अथिति के रूप में डॉ पंकज कुमार पांडेय ने भी पहुँच के निरंकारी मिशन के सेवाओं को सराहा। कार्यक्रम के समापन पर सम्मिलित हुए अतिथि गणों ने मिशन की भूरी-भूरी प्रशंसा की और साथ ही निरंकारी सत्गुरु माता का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मिशन ने जल संरक्षण एवं जल स्वच्छता की इस कल्याणकारी परियोजना के माध्यम से निश्चित ही प्रकृति संरक्षण हेतु एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।