सतत विकास के लिए जल सुरक्षा पर फोकस
योजनाओं का उद्देश्य सबको सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना
रुड़की: केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत के जलशक्ति मंत्रालय ने जल प्रबंधन के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें जलशक्ति अभियान, जल जीवन मिशन, नमामि गंगे कार्यक्रम और प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना शामिल हैं। योजनाओं का उद्देश्य सबको सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना, जल प्रदूषण को दूर करना, पेयजल स्रोतों का संरक्षण एवं सुधार और पानी की उपयोगिता को बेहतर बनाना है। यह बातें उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) रुड़की की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित रुड़की वाटर कान्क्लेव में बतौर मुख्य अतिथि कही। रुड़की वाटर कान्क्लेव में देश-विदेश से लगभग 200 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।आइआइटी रुड़की और एनआइएच रुड़की की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय रुड़की वाटर कान्क्लेव-2022 के दूसरे संस्करण की बुधवार को आइआइटी रुड़की के एलएचसी आडिटोरियम में शुरुआत हुई। इस साल के रुड़की वाटर कान्क्लेव की थीम सतत विकास के लिए जल सुरक्षा है। बुधवार को आइआइटी रुड़की परिसर में आयोजित उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आनलाइन शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि सम्मेलन में जल से जुड़े सभी विषयों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी प्रयासों पर भी विमर्श किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने कहा कि दुनिया भर में स्थायित्व के लिए जल सुरक्षा चर्चा का विषय बन चुका है। इसे ध्यान में रखते हुए रुड़की वाटर कान्क्लेव-2022 पानी की कमी, स्वच्छता और पानी के स्थायी उपयोग संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए तत्पर है। एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन के साथ यह सम्मेलन गंगा नदी के पारिस्थितिक प्रभाव को बनाए रखने में कारगर साबित होगा। साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि पानी की गुणवत्ता में सुधार लाकर पर्यावरण के सतत विकास को बढ़ाया जा सके। एनआइएच रुड़की के कार्यवाहक निदेशक डा. सुधीर कुमार ने कहा कि यह सम्मेलन जल स्त्रोतों के सतत प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डालेगा। सम्मेलन जल संरक्षण से जुड़ी विभिन्न समस्याओं, इनके समाधानों, इनके कारणों पर सही एवं विस्तृत जानकारी देगा। साथ ही पर्यावरण, प्राकृतिक पर्यावरण, ऊर्जा, अर्थव्यवस्था एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य में जल सुरक्षा की भूमिका पर भी रोशनी डालेगा। आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजित के. चतुर्वेदी ने कहा कि जल सुरक्षा सतत विकास का आधार है। जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान एवं नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। रुड़की वाटर कान्क्लेव का दूसरा संस्करण एक ऐसा मंच है, जो राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी नीतियों में विज्ञान के उपयोग को प्रोत्साहित करता है। केंद्रीय जल मिशन के चेयरमैन डा. आरके गुप्ता ने भी आनलाइन कार्यक्रम में विचार रखे। उद्घाटन समारोह में वी रामास्वामी, डा. आशीष पांडे, डा. अर्चना सरकार, डा. मनोरंजन परिदा, डा. अरुण कुमार, प्रोफेसर अपूर्वा कुमार शर्मा, विज्ञानी, इंजीनियर, छात्र और विभिन्न संस्थाओं से आए प्रतिभागी उपस्थित रहे।तीन दिवसीय वाटर कान्क्लेव में अमेरिका, कनाडा, स्पेन, स्वीडन, बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, यूके, आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, जापान और इटली से लगभग 33 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ आइआइटी और संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधि अपने शोध पत्र विविध विषयों पर प्रस्तुत करेंगे। इसके अतिरिक्त लगभग 129 सार पत्र विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय लेखकों की ओर से प्रस्तुत किए जाएंगे। वहीं व्यक्तिगत और आनलाइन करीब 200 प्रतिभागी भी कान्क्लेव में हिस्सा ले रहे हैं।