उत्तराखंड समाचार

गढ़वाल मण्डल के 12 प्राचीन शिव मंदिर

भगवान तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव की भुजाओं की पूजा अर्चना की जाती है।

1-एकेश्वर महादेव, पौड़ी-यह भगवान शिव को समर्पित विख्यात और महत्वपूर्ण सिद्धपीठों में से एक है। पर्वित्र परिसर के अन्दर वैष्णों देवी और भैरवनाथ जी को समर्पित मंदिर भी शामिल है। एकेश्वर महादेव को स्थानीय भाषा में ‘इगासर महादेव’ के नाम से भी जाना जाता है।

2-केदारनाथ, रुद्रप्रयाग-मंदाकिनी नदी के किनारे समुद्र तट से लगभग 3584 मी की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर शिव के धाम के नाम से विख्यात है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से, इस धाम में एक ज्योतिर्लिंग यह है।

3-मदमहेश्वर, ऊखीमठ-चौखम्भा की गोद में समुद्र तल से 9700 फीट की ऊंचाई पर यह मन्दिर अवस्थित है, जो ऊखीमठ से 30 किमी0 की दूरी पर है। पंच केदार के नाम से विख्यात भगवान शिव के पाँच पावन धाम में से मदमहेश्वर दूसरा पावन धाम है। यहाँ भगवान शिव की नाभि की पूजा की जाती है।

4-तुंगनाथ, चोपता-पंच केदारांे में तृतीय केदार तुंगनाथ समुद्र तल से 12070 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। भगवान तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव की भुजाओं की पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर के निकट ही रावण शिला भी स्थित है जिसके विषय में यह मान्यता है कि लंकापति रावण ने इस शिला पर भगवान शिव की तपस्या की थी।

5-रूद्रनाथ, चमोली-चमोली में चतुर्थ केदार के रूप में श्री रूद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव के एकानन यानी मुख स्वरूप की पूजा की जाती है। यहां पर भगवान शिव रौद्र रूप में पूजनीय है। मंदिर तीनों ओर कुण्डों से घिरा है। यहां पर सूर्यकुण्ड, चन्द्र कुण्ड, ताराकुण्ड व मानस कुण्ड स्थित हैं।

6-कोटेश्वर महादेव, टिहरी-विकासखण्ड नरेन्द्रनगर के चाका में भागीरथी नदी के तट पर अवस्थित है। मंदिर में स्वयं भू शिवलिंग है। संतानहीन दंपत्तियों को भगवान शिव का आशीष मिलता है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

7-काशी विश्वनाथ, उत्तरकाशी-विश्वनाथ मंदिर या काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह उत्तरकाशी जिले में भागीरथी नदी के तट पर लगभग 150 वर्ष पूर्व निर्मित हुआ है। ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व के अनुसार यह मंदिर साधना और शान्ति का प्रतीक है।

8-दक्ष प्रजापति, हरिद्वार-हरिद्वार जिले के उपनगर कनखल में स्थित दक्ष मंदिर भगवान शिव के अनुयायियों/शिव भक्तों के लिए एक मुख्य तीर्थ स्थल है। कनखल भगवान शिव की सुसराल कहलाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की पत्नी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने इस स्थान पर यज्ञ किया था।

9-शिव मंदिर टिब्बरसैंण, चमोली-टिब्बरसैंण महादेव की इस आध्यात्मिक गुफा में एक प्राकृतिक शिवलिंग बनता है। यहाँ स्थानीय निवासी भगवान शिव लिंग के दर्शन करने आते हैं और गर्मी के मौसम में भगवान शिव को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। बाबा बर्फानी की ये गुफा चमोली के अंतिम गांव नीति से सात सौ मीटर की दूरी पर मौजूद है।

10-बिनसर मंदिर, पौड़ी-बिनसर मंदिर में हर साल ‘वैकुण्ड चतुर्दशी’ और कार्तिक पूर्णिमा पर मेले का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर को लेकर यह माना जाता है कि यह मंदिर महाराजा पृथ्वी ने अपने पिता बिन्दु की याद में बनवाया था। इस मंदिर को बिंदेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

11-ताड़केश्वर महादेव (लैंसड़ाउन)-ताड़केश्वर महादेव मंदिर टिहरी के लैंसडाउन क्षेत्र में स्थित पवित्र धार्मिक स्थान है। ताड़केश्वर महादेव मंदिर भगवान् शिवजी को समर्पित है। ताड़केश्वर महादेव मंदिर सिद्धपीठों में से एक है और इसे एक पवित्र स्थल माना जाता है।

12-लाखामंडल शिव मंदिर, देहरादून-देहरादून से कुछ दूरी पर लाखामंडल नामक स्थान पर लाखामंडल शिव मंदिर स्थित है। मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में यहां पांडवों को जलाकर मारने के लिए दुर्योधन ने लाक्षागृह बनाया था। अज्ञातवास के दौरान युधिष्ठिर ने शिवलिंग की स्थापना इसी स्थान पर की थी। जो मंदिर में आज भी मौजूद है। मौजूद शिवलिंग को महामुडेश्वर के नाम से जाना जाता है।

कुमाऊँ मण्डल के 12 प्राचीन शिव मंदिर

1-जागेश्वर महादेव, अल्मोड़ा-अल्मोड़ा से 38 कि.मी की दूरी पर बसा जागेश्वर धाम इस परिक्षेत्र का प्रमुख धार्मिक एवं प्राकृतिक पर्यटन स्थली है। लोक विश्वास और लिंग पुराण के अनुसार जागेश्वर संसार के पालनहार भगवन विष्णु द्वारा स्थापित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह शैव धर्म के पारंपरिक धामों में से एक है।

2-बिनसर महादेव मंदिर रानीखेत-भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 10वीं सदी में किया गया था। बिनसर महादेव मंदिर अपने पुरातात्विक महत्व और वनस्पति के लिए लोकप्रिय है। यह मंदिर रानीखेत से लगभग 20 किमी0 की दूरी पर स्थित है।

3-कपिलेश्वर मंदिर, अल्मोड़ा-अल्मोड़ा नगर से लगभग 12 किमी दक्षिण पूर्व में सिमल्टी नामक गांव के निकट शिव मंदिर कपिलेश्वर स्थित है। इसकी ऊंचाई लगभग 37 फिट आंकी गयी है। इस मंदिर का विशेष आर्कषण इसकी अलंकृत रचनाऐं हैं, जिन पर अनेक पार्श्व देवता अंकित हैं।

4-पाताल भुवनेश्वर, पिथौरागढ़-पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा किसी आश्चर्य से कम नहीं है। भारत के प्राचीनतम ग्रन्थ स्कंध पुराण के अनुसार पाताल भुवनेश्वर की गुफा के सामने पत्थरों से बना एक-एक शिल्प तमाम रहस्यों को खुद में समेटे हुए हैं। इस गुफा में पानी की धारा लगातार शिवलिंग का अभिषेक करती रहती है।

5- थलकेदार मंदिर, पिथौरागढ़-थलकेदार पहाड़ी के शिखर पर समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह धार्मिक स्थान अपने शिवलिंग के लिये सबसे अधिक प्रसिद्ध है, जिसे हजारों वर्ष पुराना माना जाता है। इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गयी हर मनोकामना पूरी होती है।

6-बागनाथ मंदिर, बागेश्वर-भगवान शिव का बहुत प्राचीन मंदिर है, जो व्याघ्रेश्वर या बागनाथ के नाम से जाना जाता है। यह उत्तराखंड की काशी के नाम से प्रसिद्ध है।

7-क्रान्तेश्वर महादेव, चम्पावत-चम्पावत नगर के पूर्व में स्थित कूर्म पर्वत के शिखर पर अपार श्रद्धा का केंद्र क्रान्तेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर की पहाड़ी में भगवान विष्णु इतिहासकारों के अनुसार कुर्म पर्वत के नाम से कुमाऊँ शब्द बना है। क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर को स्थानीय लोग कणदेव एवं कुरमापद नाम से सम्बोधित करते है।

8-ऋषेश्वर महादेव, चम्पावत-लोहावती नदी के तट पर स्थित भगवान शिव का यह मंदिर कभी कैलास मानसरोवर यात्रा का पड़ाव था। ऋषेश्वर महादेव मंदिर लोहाघाट के लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है। ऋषेश्वर महादेव के दर्शन के बिना लौटने पर लोहाघाट की यात्रा अधूरी मानी जाती है।

9-सिद्ध नरसिंह मंदिर, चम्पावत-समुद्र सतह से 2050 मीटर ऊंचाई पर, बांज के घने पेड़ों से घिरा और प्राकृतिक सुदंरता के बीच स्थित सिद्ध नरसिंह मंदिर के दर्शन करने के लिए पूरे वर्ष भर श्रद्धालु आते हैं। सिद्ध नरसिंह बाबा के मंदिर का पुननिर्माण कार्य कुछ समय पहले ही शुरू किया गया था।

10-भीमेश्वर महादेव, भीमताल-नैनीताल के भीमताल में भीमेश्वर महादेव मंदिर पौराणिक काल से भीमताल झील के किनारे स्थापित है, जो नैनीताल नगर से २२ किमी0 की दूरी पर स्थित है भीमेश्वर मंदिर में शिव लिंग पर शिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा दुग्धाभिषेक व जलाभिषेक किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर पाण्डवों द्वारा स्थापित किया गया था।

11-मुक्तेश्वर महादेव,नैनीताल-जनपद नैनीताल के मुक्तेश्वर की पहाड़ी पर मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पौराणिक काल से स्थापित है, जो नैनीताल नगर से 52 किमी0 की दूरी पर स्थित है। मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग पर शिवरात्री के अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा दुग्धाभिषेक व जलाभिषेक किया जाता है, यह मंदिर कत्यूरी शैली के बने हुये हैं।

 

 

 

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