स्व. इंद्रमणि बड़ोनी की 24 वीं पुण्यतिथि पर उक्रांद ने दी श्रद्धांजलि
सन 1969 में दोबारा कांग्रेस से विधायक चुने गये तथा 1977 में पुनः निर्दलीय विधायक देवप्रयाग से चुने गये।
देहरादून, 18 अगस्त। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता व पहाड़ के गाँधी स्व. इंद्रमणि बड़ोनी की 24 वीं पुण्यतिथि पर उक्रांद की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। आज प्रातः 11 बजे घंटाघर स्थित श्री बड़ोनी की मूर्ति पर उक्रांद के संरक्षक त्रिवेंद्र सिंह पंवार के नेतृत्व में दल के सभी कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण कर जननायक को याद किया। तत्पश्चात पार्टी कार्यालय 10 कचहरी रोड़ देहरादून में पहाड़ के गाँधी स्व. इंद्रमणि बड़ोनी को श्रद्धांजलि देते हुए याद किया गया। इस अवसर पर पहाड़ के गाँधी स्व. इंद्रमणि बड़ोनी को याद करते हुए त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने कहा हैं कि स्व. बड़ोनी एक सरल, सहज़ स्वभाव के रहे। उनके व्यक्तित्व का आकर्षण इतना प्रभावशाली था कि विरोधी भी उनके अपने हो जाते थे। सन 1967 में टिहरी जनपद के देव प्रयाग विधानसभा से विधायक चुने गये। सन 1969 में दोबारा कांग्रेस से विधायक चुने गये तथा 1977 में पुनः निर्दलीय विधायक देवप्रयाग से चुने गये। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में जन मुद्दों को लेकर हमेशा सजग रहे। उनके उठाये गये मुद्दे केवल देवप्रयाग विधानसभा ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के अन्य विधानसभा क्षेत्रों के जन मुद्दों पर भी सरकार से सवाल करते आये। इस अवसर पर सुनील ध्यानी ने कहा कि स्व. बड़ोनी ने उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आंदोलन के संघर्ष को चरम पर पहुंचाया। नशा नहीं- रोजगार दो, वन अधिनियम के कारण विकास योजनाए जो ठप पड गयी थी, बड़ोनी जी के नेतृत्व में विकास कार्य में बाधक जंगल में पेड़ो को काटा गया साथ ही जितने पेड़ काटे गये उनके दस गुणा पेड़ भी लगाये गये। राज्य संघर्ष आंदोलन को गाँधीवादि नीतियों के तहत अहिंसक आंदोलन जो 1994 में जन आंदोलन का वृहत रूप धारण किया। इसीलिए उनको पहाड़ का गाँधी कहा गया। सन 1999 में 18 अगस्त को कालजयी पुरुष संसार से विदा हुए, उनके मुँह से आखिरी शब्द उत्तराखंड निकला। श्रद्धांजलि सभा में मीनाक्षी घिल्डियाल, प्रताप कुंवर, शांति भट्ट,विजेंद्र रावत,केंद्रपाल तोपवाल,मोहन सिंह भंडारी,योगी पंवार, राजेंद्र प्रधान,राम कुमार शंखधर प्रमोद काला, मोहित डिमरी,प्रताप कुंवर, उत्तरा पंत, मधु सेमवाल,धर्मवीर सिंह नेगी, अशोक नेगी आदि उपस्थित थे।