हर साल टमाटर का रोना क्यों रोएं, यह मुख्य खाद्य नही
कच्चे आम सूखाकर संग्रह कर लिए जाएं तो मिल जायेगा विकल्प
देहरादून। टमाटर को रसोई का अनिवार्य चीज हमारी रसोई के प्रति उदासीनता और पूरी तरह बाज़ार पर निर्भरता ने बना दिया है। संग्रहणीय गुण को आज की गृहिणियों ने खो दिया है, जिसका दोष वर्तमान समय को देना ठीक रहेगा। हमने देखा है कि पहले बाज़ार में टमाटर मात्र 3-4 महीने उपलब्ध था। जाड़े में बाज़ार में गोभी, मटर, बैगन, सेम, टमाटर लगभग एकसाथ आएंगे। इन सब की सब्जी में टमाटर पड़ेगा जो सब्जी को लाल और खट्टा कर स्वादिष्ट बना देगा। इन दिनों रसोई में सब्जी की बहार रहेगी। शुरू में जब टमाटर आएगा तो घर के बच्चे नमक से बोरकर ही कितने टमाटर खा जाएंगे।तबके टमाटर सब्जी पक जाएगी तब उतारते समय डाले जाएंगे वरना उसका खटापन सब्जी गलने न देगा। तब हर घर में कच्चे आम सूखाकर संग्रह कर लिए जाएंगे खटाई के लिए। टमाटर के दिन बीते नही कि ये खटाई पानी में भिंगोकर सब्जी में पड़ेगा जो सब्जी को खट्टा टेस्टी बनाना शुरू कर देगा। ज्यादा खट्टा चाहिए तो सील पर पीसकर उपयोग होगा, जीभ चटकाते रहिए। आम, आमड़ा का अचार की भी कोई कमी न थी। और नींबू किस दिन काम आएगा? टमाटर की बाकी महीने याद भी नही आयेगी। हर साल टमाटर का रोना क्यों रोएं, यह मुख्य खाद्य नही है। इसका विकल्प रसोई में घुसने को तैयार है, उसे भी प्रवेश मिले।