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21 अगस्त को मनाया जाएगा नाग पंचमी का त्योहार : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन नागों की पूजा का विधान है।

देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की नाग पंचमी का पर्व पूरे देशभर में बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। भारत, नेपाल और हिंदू आबादी वाले अन्य दक्षिण एशियाई देशों में लोग इस हिंदू त्योहार पर नागों की पारंपरिक पूजा करते हैं। हर साल नाग पंचमी श्रवण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि में पड़ती है। श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन नागों की पूजा का विधान है। हर महिने पंचमी तिथि के देव नाग देवता की पूजा की जाती है लेकिन श्रवण मास में पड़ने वाले शुक्ल पक्ष की नाग पंचमी को नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन नाम देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उनको दूध से स्नान भी कराया जाता है साथ ही कई जगह उन्हें दूध भी पिलाया जाता है। नाग पंचमी के दिन नागों का दर्शन होना बहुत ही शुभ माना जाता है। हिंदु धर्म में नाग को सबसे अधिक महत्व दिया गया है।
नाग पंचमी पर भगवान शिव के गले में आभूषण के रूप में मौजूद नाग देव की पूजा होती है। नाग पंचमी पर पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। हिंदू धर्म में सदियों से नागों को पूजने की परंपरा चली आ रही है। ऐसी मान्यताएं हैं कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध अर्पित करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती हैं। नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है।
इस वर्ष सावन शुक्ल पंचमी तिथि 21 अगस्त 2023 को रात 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 22 अगस्त 2023 को दोपहर 2 बजे होगा। ऐसे में नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष है तो उन्हें नागपंचमी के दिन विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए।
नाग पंचमी की पूजन विधि :- नाग पंचमी के दिन सवेरे जल्दी उठकर स्नानादि के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें। एक थाली में हल्दी, रोली, चावल, फूल, दीपक और दूध रख लें। फिर मंदिर जाकर ये सभी चीजें नाग देवता को अर्पित करें। ध्यान रहे नाग देवता को कच्चे दूध में घी चीनी मिलाकर ही अर्पित करना चाहिए। इसके बाद नाग देवता की आरती उतारें और मन में नाग देवता का ध्यान करें। नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें। आखिर में नाग देवता से अपनी इच्छाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
सावन का महिना शिव पूजा के लिए विशेष माना गया है। भोलेनाथ ही अराधना इस माह में करना सबसे उत्तम होता है। ऐसा माना गया है कि इस माह में नाग देवता की पूजा करने से धन-सपंत्ति में वृद्धि होती है।
नागपंचमी का महत्व :- भारत के प्राचीन महाकाव्यों में से एक, महाभारत में, राजा जनमेजय नागाओं की पूरी जाति को नष्ट करने के लिए एक यज्ञ करते हैं। यह अपने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए था, जो तक्षक सांप के घातक काटने का शिकार हो गये थे। हालांकि, प्रसिद्ध ऋषि आस्तिक जनमजेय को यज्ञ करने से रोकने और नागों के बलिदान को बचाने की खोज में निकल पड़े। जिस दिन यह बलि रोकी गई वह शुक्ल पक्ष पंचमी थी, जिसे अब पूरे भारत में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। कई हिंदू धर्मग्रंथों और महाकाव्यों में सांप या नागा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महाभारत, नारद पुराण, स्कंद पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों में सांपों से जुड़ी कई कहानियां हैं। एक और कहानी भगवान कृष्ण और नाग कालिया से जुड़ी है जहां कृष्ण यमुना नदी पर कालिया से लड़ते हैं और अंत में मनुष्यों को दोबारा परेशान न करने के वादे के साथ कालिया को माफ कर देते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से भक्त को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त :-
पंचमी तिथि शुरु 21 अगस्त 2023 रात 12:20 मिनट शुरु
पंचमी तिथि समाप्त 22 अगस्त 2023 रात 2.00 मिनट समाप्त
काल सर्प दोष से मु्क्ति :-
इस दिन रुद्राभिषेक करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
जिन जातकों की कुंडली में काल सर्प दोष है उनके लिए इस दिन पूजा करना बड़ा महत्व रखता है।
कई लोगों तरक्की की राह पर आगे नहीं बढ़ पाते, ऐसा होता है काल सर्प दोष की वजह।
इस दिन चांदी के नाग-नागिन नदी में प्रवाहित करें।
नाग पंचमी के दिन क्या करें :-
नागपंचमी के दिन व्रत रखें। व्रत रखने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा इस दिन नाग देवताओं की पूजा के बाद नागपंचमी के मंत्रों का जजाप करें।
कुंडली में राहु और केतु की दशा चल रही है उन्हें भी नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इस उपाय से राहु केतु दोष से मुक्ति मिलेगी।
इस दिन शिवलिंग पर पीतल के लोटे से ही जल चढ़ाएं।

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