धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पहुंचे जौलीग्रांट एयरपोर्ट
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गर्ग का बचपन उनके ही गांव में बीता है। वह एक सामान्य गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
देहरादून/डोईवाला। बागेश्वर धाम सरकार नाम से विख्यात धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आज जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। कड़ी सुरक्षा होने के बाद भी उन्होंने अपने भक्तों कि फरियाद सुनी। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम सरकार/महाराज के नाम से जाने वाले एक भारतीय कथावाचक हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भारत के मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले के ग्राम गढ़ा के प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश हैं। उनका जन्म 5 जुलाई 1996 को छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में एक गर्ग परिवार में हुआ था। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गर्ग का बचपन उनके ही गांव में बीता है। वह एक सामान्य गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से प्राप्त की।अपने बचपन में आस-पास के गाँवों में वे दान मांगकर, रामचरितमानस और सत्यनारायण कथा सुनाकर जीविकोपार्जन करते थे। वर्तमान में वह अविवाहित हैं परन्तु शीघ्र ही विवाह करने का विचार कर रहे हैं। उन्होंने ये भी बताया की जयाकिशोरी उनकी बहन जैसी हैं तथा उनके और जयाकिशोरी के विवाह की खबर अफवाह मात्र है। धीरेंद्र कृष्ण का जन्म और पालन-पोषण एक हिंदूगर्ग परिवार में हुआ, जहां उनके पिता एक पुजारी के रूप में काम करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को भगवान हनुमान ने बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर बनने और समाज सेवा के लिए काम करने का निर्देश दिया था। उनके अनुसार न ही वो किसी देवता के अवतार हैं न ही वो कोई तांत्रिक हैं, मात्र एक साधारण मानव हैं जिनके पास हनुमान जी और सन्यासी बाबा के आशीर्वाद से सिद्धियां प्राप्त हैं। वे इन शक्तियों को जनकल्याण और मानव सेवाहितार्थ काम में लेते है और उनकी मानसिक, शारीरिक समस्याओ का निदान करते है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री के द्वारा बागेश्वर धाम की सेवा 3 पीढ़ियों से की जा रही है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पीठाधीश्वर और बागेश्वर धाम सरकार के प्रमुख हैं, जो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गाँव में भगवान हनुमान को समर्पित एक हिंदू तीर्थ स्थल है। धाम में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक दिव्य दरबार का आयोजन करते हैं जहाँ ऐसा माना जाता है कि वह अपनी दैवीय शक्तियों से लोगों की सभी शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक पीड़ाओं को ठीक करते हैं जो उन्हें भगवान हनुमान से मिली थी।