नवरात्रों के पावन पर्व के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में हुई घट स्थापना
चैत्र नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की उपासना का विधान है। लेकिन नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व होता है।
देहरादून। महंत श्री श्री 108 रविंद्र पुरी महाराज अध्यक्ष भारतीय अखाड़ा परिषद के सानिध्य में आज श्री पृथ्वीनाथ महादेव जी मंदिर देहरादून में नवरात्रों के पावन पर्व के प्रथम दिन मां भगवती के स्वरूप शैलपुत्री देवी की पूजा अर्चना की गई और शुभ मुहूर्त में घट स्थापना की गई। आज प्रातः भोर में मां भगवती के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री जी व मंदिर में विराजमान मां भगवती की प्रतिमा को पवित्र गंगाजल के साथ ही दूध दही घी शक्कर पंचामृत इत्यादि से स्नान ध्यान करवा उनको सुंदर लाल रंग का चोला अर्पण किया गया, इसी के साथ पत्र पुष्प माला मिष्ठान फल पान सुपारी लोंग इलाइची श्रृंगार की सामग्री इत्यादि अर्पण कर धूप दीप दर्शाई गई। आज ही अखंड ज्योति भी प्रचलित की गई जो आगामी नवमी तिथि तक प्रचलित रहेगी। पंडित आशीष उनियाल ने इस अवसर पर आज दुर्गा सप्तशती के पाठ प्रारंभ किए जिसमें विश्व कल्याण एवं अपने देश पर देश की उन्नति की प्रार्थना की गई। इस अवसर पर दिगंबर भागवत पुरी, दिगंबर दिनेश पुरी, पंडित आशीष उनियाल, भारत भूषण भट्ट, दिलीप सैनी, विनोद, विक्की गोयल, राहुल शर्मा, दिलीप सैनी, नरेंद्र ठाकुर, नवीन गुप्ता, रिंकल आनंद, निखिल अग्रवाल, प्रीति गुप्ता, संगीता गुप्ता, कांता अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।
घटस्थापना के साथ ही चैत्र नवरात्र शुरू हो गए हैं। दुर्गाशप्तसती पाठ के साथ चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन मां के प्रथम रूप शैलपुत्री की विशेष पूजा-अर्चना की गई। इस साल मां दुर्गा का आगमन नौका पर हुआ हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानि नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा गणेश जी, भगवान कार्तिकेय समेत अपने परिवार के साथ पृथ्वी लोक पर पधारती हैं। पृथ्वी लोक मातारानी का मायका है। वे यहां पर पूरी नवरात्रि रहती हैं और फिर दिन के अनुसार, अपनी सवारी पर विराजमान होकर प्रस्थान कर जाती हैं। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की मां आदिशक्ति की उपासना का पावन पर्व चैत्र नवरात्रि की शुरुआत आज से हो गई है, जिसका समापन 30 मार्च को होगा। हिंदू धर्म में नवरात्रि का खास महत्व होता है। चैत्र नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की उपासना का विधान है। लेकिन नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व होता है। इन दोनों ही तिथियों पर कन्या पूजन करने की भी परंपरा है। कन्याओं को साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। दुर्गाष्टमी या फिर नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए नवरात्रि में कन्या पूजन जरूर करना चाहिए।