उत्तराखंड समाचारधर्म

चैत्र नवरात्रि में नौका पर होगा मां दुर्गा का आगमन

पृथ्वी लोक मातारानी का मायका है

देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च दिन बुधवार से हो रही है। इस साल मां दुर्गा का आगमन नौका पर हो रहा है. जब भी बुधवार से नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां दुर्गा पृथ्वी पर नौका पर सवार होकर आती हैं। दिन के अनुसार, मां दुर्गा की सवारी का निर्धारण होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानि नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा गणेश जी, भगवान कार्तिकेय समेत अपने परिवार के साथ पृथ्वी लोक पर पधारती हैं। पृथ्वी लोक मातारानी का मायका है। वे यहां पर पूरी नवरात्रि रहती हैं और फिर दिन के अनुसार, अपनी सवारी पर विराजमान होकर प्रस्थान कर जाती हैं।
कैसे तय होती है मां दुर्गा की सवारी
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि नवरात्रि के समय में दिन अनुसार मां दुर्गा के आगमन की सवारी क्या होती है। इसके बारे में श्लोक है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ इसके अनुसार, सूर्य यानि रविवार और शशि यानि चंद्रमा अर्थात् सोमवार को नवरात्रि शुरु होती है तो मां दुर्गा की सवारी हाथी होती है.शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का आगाज होता है तो मातारानी की सवारी घोड़ा होता है. संस्कृत में घोड़े को तुरंग कहते हैं। गुरुवार या शुक्रवार के दिन नवरात्रि का प्रारंभ होगा तो मां दुर्गा की सवारी डोली होगी और बुधवार को मां दुर्गा की सवारी नौका होती है।
1- मां शैलपुत्रीः मां दुर्गा का प्रथम अवतार मां शैलपुत्री हैं। घटस्थापना के साथ नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा होती है। ये पर्वतराज हिमालय की कन्या के रूप में जन्म ली थीं, इसलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
2- मां ब्रह्मचारिणीः मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी है. नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी ही पूजा होती है। इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप और साधना किया था, जिसकी वजह से इनको ब्रह्मचारिणी कहते हैं।
3- मां चंद्रघंटाः मां दुर्गा की तीसरा अवतार हैं मां चंद्रघंटा। नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा होती है। ये माता घंटे के आकार का चंद्रमा धारण करती हैं, इसलिए इनको चंद्रघंटा कहा जाता है।
4-मां कूष्माण्डाः मां दुर्गा का चैथा अवतार हैं मां कूष्मांडा. कूष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ा है. इसमें काफी संख्या में बीज होते हैं, जिससे कई कुम्हड़े को जन्म देने की क्षमता है. इस देवी में पूरे ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की क्षमता है, इसलिए इनका नाम कूष्मांडा पड़ा. नवरात्रि के चैथे दिन इनकी पूजा करते हैं.
5-मां स्कंदमाताः मां दुर्गा का पांचवां अवतार हैं मां स्कंदमाता. स्कंदमाता का तात्पर्य है स्कंद कुमार की माता से। स्कंद कुमार भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम है। इस माता की गोद में 6 मुख वाले स्कंद कुमार बैठे हुए दिखाई देते हैं। ये देवी सुख प्रदान करने वाली हैं। नवरात्रि के पांचवे दिन इनका पूजन होता है।
6-मां कात्यायनीः मां दुर्गा का छठा अवतार हैं मां कात्यायनी। कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में इस देवी को जाना जाता है, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. यह देवी सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करती हैं। नवरात्रि के छठे दिन इस देवी की पूजा करते हैं।
7-मां कालरात्रिः मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं मां कालरात्रि. नवरात्रि के सातवें दिन इनकी पूजा की जाती है। मां कालरात्रि अपने भक्तों को सभी प्रकार की बुराइयों से अभय यानि निडरता प्रदान करती हैं।
8-मां महागौरीः मां दुर्गा का आठवां अवतार हैं मां महागौरी। दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया तो उनका शरीर काला पड़ गया था। तब भगवान शिव के वरदान से इनको गौर वर्ण प्राप्त हुआ और तब यह मां महागौरी कहलाईं. इनको मोक्ष और परम आनंद प्रदान करने के लिए भी जानते हैं।
9-मां सिद्धिदात्रीः मां दुर्गा का नौवां अवतार हैं मां सिद्धिदात्री। इस मां की आराधना करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्ध्यिां प्राप्त होती हैं। महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

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