इस वर्ष नियंत्रित रूप से संचालित की जा सकती है बदरीनाथ धाम यात्रा
भूधंसाव से चारधाम आल वेदर रोड परियोजना के तहत निर्माणाधीन बदरीनाथ हाईवे का हेलंग से मारवाड़ी बाईपास भी प्रभावित हुआ है।
देहरादून। बदरीनाथ धाम की यात्रा इस वर्ष नियंत्रित रूप से संचालित की जा सकती है। जोशीमठ में भूधंसाव की समस्या को देखते हुए यह परिस्थिति बन रही है। भूधंसाव से चारधाम आल वेदर रोड परियोजना के तहत निर्माणाधीन बदरीनाथ हाईवे का हेलंग से मारवाड़ी बाईपास भी प्रभावित हुआ है। यह आधा दर्जन से ज्यादा स्थानों पर धंसा है। यदि इसके निर्माण पर लगी अस्थायी रोक हट भी गई तो निर्माण पूरा होने में दो से ढाई साल का समय लगना तय है। ऐसे में जोशीमठ शहर पर यात्रियों और वाहनों का दबाव कम करने के मद्देनजर इस वर्ष बदरीनाथ धाम की यात्रा को रोटेशन आधार पर संचालित करने पर विचार चल रहा है। हेलंग से मारवाड़ी बाईपास की लंबाई लगभग छह किलोमीटर है। यह जोशीमठ में मारवाड़ी पुल के पास बदरीनाथ हाईवे से मिलता है। जोशीमठ शहर पर जन दबाव कम करने के उद्देश्य से इसका निर्माण कराया जा रहा है। इसके बनने पर बदरीनाथ की दूरी लगभग 27 किलोमीटर कम हो जाएगी।वर्तमान में बदरीनाथ पहुंचने के लिए हेलंग से जोशीमठ होते हुए मारवाड़ी तक का सफर तय करना पड़ता है। न केवल बदरीनाथ बल्कि हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी को जोडऩे वाला भी यही मुख्य मार्ग है। इस बीच दो जनवरी को जोशीमठ क्षेत्र में भूधंसाव का क्रम तेज होने पर निर्माणाधीन हेलंग-मारवाड़ी बाईपास भी इसकी जद में आया है। इसे लेकर लोग तमाम आशंकाएं जता रहे हैं। इस पर प्रशासन ने बाईपास के निर्माण पर अस्थायी रोक लगाई हुई है। अब जबकि, अप्रैल आखिर या मई की शुरुआत से बदरीनाथ धाम की यात्रा शुरू होनी है तो इसे लेकर भी कसरत प्रारंभ कर दी गई है। सरकार ने बाईपास का जियो टेक्निकल व भूगर्भीय सर्वेक्षण कराने का निश्चय किया है। शासन ने बाईपास का निर्माण कर रहे सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को पत्र लिखकर इस क्षेत्र का आइआइटी रुड़की से जियो टेक्निकल और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से भूगर्भीय सर्वेक्षण कराकर रिपोर्ट देने को कहा है। बताया गया कि आइआइटी रुड़की व बीआरओ के विशेषज्ञों की टीम भी इस संबंध में गठित कर दी गई है। शासन के सूत्रों के अनुसार ये बात सामने आई है कि यदि जियो टेक्निकल व भूगर्भीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट में यहां की भूमि उपयुक्त पाई गई तो भी सड़क निर्माण में दो से ढाई साल का समय लगेगा। यानी इस यात्रा सीजन में निर्माण असंभव है। ऐसे में बदरीनाथ यात्रा को जोशीमठ शहर से होकर नियंत्रित तरीके से संचालित किया जा सकता है। बदरीनाथ यात्रा के लिए हेली सेवा के विकल्प पर भी विमर्श चल रहा है। यह कहां से और किस तरह संचालित होगी, इसे लेकर कसरत चल रही है। इस संबंध में भी जल्द तस्वीर साफ होगी।