गजकेसरी योग में मनेगी बसंत पंचमी : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
बसंत पंचमी के पर्व के 40 दिन बाद होली का त्योहार मनाया जाता है
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की भारत के लगभग हर राज्य में बसंत पंचमी का त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। बसंत पंचमी के पर्व के 40 दिन बाद होली का त्योहार मनाया जाता है। इसलिए बसंत पंचमी को होली के त्योहार की शुरुआत माना जाती है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। माता सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है। बसंत पंचमी के दिन स्कूल-कॉलेज में विद्या की देवी सरस्वती की पूजा आराधना की जाती है। इस वर्ष बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनाई जा रही है। बसंत पंचमी का त्यौहार बच्चों के लिए बहुत खास है। बसंत पंचमी माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। बसंत पंचमी पर स्कूल, कालेज, शिक्षण संस्थानों में मां शारदे का विधि-विधान के साथ पूजन होता है। इस साल बसंत के साथ गणतंत्र दिवस होने से इस दिन की महत्ता बढ़ गई है। पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12:38 बजे से प्रारंभ हो जाएगी, जो अगले दिन 26 जनवरी प्रात: 10:38 बजे तक रहेगी। उदय तिथि (सूर्योदय) में ही पंचमी मनाना शास्त्रसम्मत है। पंचमी तिथि का सूर्योदय 26 जनवरी को होगा। इस दिन उत्तरा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र होने से छत्र और मित्र नाम के दो शुभ योग बनेंगे। इसके अलावा शिव और सिद्ध नाम के दो अन्य योग भी होंगे। इस प्रकार बसंत पर चार शुभ योग बन रहे हैं। इससे बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। ज्योतिषीय दृष्टि से कला, शिक्षा व साहित्य से जुड़े लोगों और विद्यार्थियों के लिए बसंत पंचमी खास है। इस बार बसंत पंचमी गुरुवार है। गुरुवार का दिन देव गुरु बृहस्पति का होता है। देवगुरु बृहस्पति ज्ञान के कारक हैं। विशेष संयोग है कि इस दिन देव गुरु बृहस्पति अपने मित्र चंद्रमा के साथ अपनी ही राशि मीन में गजकेसरी योग का निर्माण भारत की कुंडली में कर रहे हैं। इस दुर्लभ संयोग के कारण इस बार की पंचमी देश के लिए विशेष फल देने वाली रहेगी। देश निश्चित रूप से सुख, शांति व संपन्नता की दिशा में आगे बढ़ेगा।
बसंत पंचमी पर्व पर अबूझ मुहूर्त होने के कारण खूब बैंड बाजा बजेगा। 26 जनवरी को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन मां सरस्वती श्वेत कमल पर विराजमान होकर हाथों में वीणा और पुस्तक लेकर प्रकट हुई थीं। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, भवन निर्माण और सभी मांगलिक कार्य किए जाते हैं। इसलिए शादी-विवाह के लिए इसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। इसके बाद 29 जून तक देवशयनी एकादशी तक लगातार शादी के मुहूर्त हैं। हालांकि 15 मार्च से 14 अप्रैल तक खरमास के दौरान एक बार फिर शादी-विवाह पर रोक लग जाएगी। साथ ही 1 अप्रैल से 3 मई तक देव गुरु बृहस्पति भी अस्त रहेंगे।
बसंत पंचमी पर क्या करें :- शिक्षा, कला व साहित्य से जुड़े लोग शुभ फल पाने के लिए पीले फूल, हल्दी, पीले वस्त्र, पीली मिठाई व हल्दी की माला आदि पीले चीजों से मां सरस्वती का पूजन करें। मां शारदे के चरणों में पेन, पेंसिल, स्टेशनरी का सामान रखकर उन्हें आशीर्वाद के रूप में उपयोग में लाएं। गुरुओं व अपने माता-पिता का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
विशेष मुहूर्त : प्रात: 7:07 से अपराह्न 12:15 बजे तक