उत्तराखंड के लोकल ब्रांड आंचल पर होना चाहिए हम सबको गर्व : सौरभ बहुगुणा
कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने किया रंजत जयंती समारोह में प्रतिभाग
खटीमा। दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के 25 वर्ष पूरे होने पर रंजत जयंती समारोह आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड का लोकल ब्रांड आंचल पर हम सबको गर्व होना चाहिए, ठीक वैसे ही, जैसे गुजरात को अमूल पर है। इस आंचल ब्रांड को लोगों तक पहुंचाना है। इसे अन्य ब्रांड की टक्कर में लाना है, राज्य के लोगों की सहभागिता से ही यह संभव हो सकता है। सौरभ बहुगुणा ने कहा कि यदि हमारे दूध में कमियां हैं तो बताएं, उसे हम ठीक करेंगे। हम उत्तराखंड के लोग अपनी चीजों का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो उसे आगे कैसे बढ़ाएंगे। लस्सी, खीर, फ्लेवर मिल्क बाजार में उतारने के बाद अब आंचल का पहला कैफे देहरादून में खोला है। बहुत जल्द 100 कैफे पूरे प्रदेश में खोले जाएंगे। ताकि यह ब्रांड राज्य के हर आदमी के पास पहुंच सके। जब हम मार्केट में नंबर वन होंगे तो इसका लाभ पशुपालक को भी मिलेगा। रंजत जयंती कार्यक्रम की अगुआई कर रहे प्रशासक तिलकराज गंभीर ने कहा कि अगस्त 1997 में जब दुग्ध संघ अस्तित्व में आया था, तब 10 हजार लीटर दूध की क्षमता थी, जो अब पचास हजार लीटर से अधिक है। प्रभारी जीएम डा. पीएस नागपाल ने बुके देकर अतिथियों को सम्मानित किया। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष कमल जिंदल, मंडी चेयरमैन नंदन सिंह खड़ायत, टीवीएस अध्यक्ष गोपाल बोरा, चंद्र सिंह थापा, रमेश जोशी, अमित पांडे, अनिल तिवारी आदि मौजूद थे। सौरभ बहुगुणा ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने मेरे सभी प्रोपोजल को स्वीकृती दी है। उन्होंने कहा कि इससे सबसे बड़ी राहत पशुपालकों मिली है। भूसे पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी है। अधिक रेट होने से पशुपालकों को खासी दिक्कतें हुई थी। गोशाला में पहले पांच रुपये प्रतिदिन भरण पोषण के लिए मिलता था, जो बहुत कम था। इसे बढ़ाकर 30 रुपये प्रति गाय कर दिया गया है। कैबिनेट मंत्री बहुगुणा ने यह कहकर केंद्र सरकार को भी धन्यवाद दिया कि उन्होंने उत्तराखंड को 60 एंबुलेंस दी। इन एंबुलेंस के जरिये उत्तराखंउ में 2700 जानवरों का इलाज किया जा चुका है। अब बहुत जल्द हर ब्लाक में एक एम्बुलेंस मिलेगी। लक्ष्य के लिए गांव-गांव हों गोष्ठी काबिना मंत्री बहुगुणा ने कहा कि ऊधम सिंह नगर में दूध की अपार संभावनाएं हैं। गांव-गांव जाकर गोष्ठी कर लोगों को समझाना है कि सरकार 50 प्रतिशत अनुदान दे रही है, साइलस में छूट दे रही है तो दूध आंचल की डेरी को दें। संघ से जुड़े लोगों को मेहनत करने की जरूरत है। नंबर वन के लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है।