सुप्रीम कोर्ट ने लगाई हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक
उत्तराखंड सर्विस रूल में एनआइओएस से 18 महीने का ओडीएल डिप्लोमा लेने वालों को नियुक्ति के लिए मान्यता नहीं है।
देहरादून/नई दिल्ली। उत्तराखंड में जिन लोगों ने नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ओपेन स्कूलिंग (एनआइओएस) से 18 महीने का ओपेन एंड डिस्टेंस लर्निग (ओडीएल) डिप्लोमा किया है, उन डिप्लोमा धारकों के सहायक शिक्षक भर्ती के आवेदनों पर फिलहाल विचार नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 18 महीने का एनआइओएस ओडीएल डिप्लोमा रखने वालों के आवेदनों पर विचार करने के हाई कोर्ट के गत 14 सितंबर के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार व अन्य पक्षकारों को नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट मामले पर 31 जनवरी को फिर सुनवाई करेगा। ये आदेश न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की पीठ ने दो वर्ष का डिप्लोमा रखने वाले पांच लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिये। यह मामला उत्तराखंड में प्राथमिक स्कूलों के लिए सहायक शिक्षकों की 2020-2021 में निकाली गई 2648 रिक्तियों की भर्ती से जुड़ा है। जिसमें विवाद एनआइओएस से 18 महीने का डिस्टेंस लर्निंग का डिप्लोमा लेने वालों और एलीमेंट्री एजूकेशन (डी.इएल.ईजडी) में दो वर्ष का डिप्लोमा रखने वालों के बीच आवेदन योग्यता को लेकर है। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 14 सितंबर के आदेश में पूर्व में आये त्रिपुरा और पटना हाई कोर्ट के आदेशों को आधार बनाते हुए आदेश दिया था कि एनआइओएस से 18 महीने का डिप्लोमा रखने वाले भी सहायक शिक्षक भर्ती में आवेदन के लिए योग्य माने जाएंगे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को उनके आवेदनों पर भी विचार करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को दो वर्ष का नियमित डिप्लोमा करने वालों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मामले पर बहस के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील यूके उनियाल और धनंजय गर्ग ने हाई कोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि उत्तराखंड सर्विस रूल में एनआइओएस से 18 महीने का ओडीएल डिप्लोमा लेने वालों को नियुक्ति के लिए मान्यता नहीं है। उन्होंने कहा कि विभाग ने भर्ती विज्ञापन में आवेदन के लिए योग्यता दो साल का डीईएलईडी डिप्लोमा कहा गया था और भर्ती विज्ञापन को किसी ने भी चुनौती नहीं दी है। इसके अलावा उत्तराखंड सरकार ने भी 10 फरवरी 2021 को आदेश निकाला था जिसमें 18 महीने का एनआइओएस डिप्लोमा रखने वालों को अमान्य माना था। लेकिन हाई कोर्ट ने राज्य सरकार का वह आदेश रद कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बहस सुनने के बाद कहा कि इसमें त्रिपुरा और बिहार अन्य राज्य भी शामिल हैं ऐसे में इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने याचिका पर उत्तराखंड राज्य, नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजूकेशन व अन्य प्रतिपक्षियों को नोटिस जारी किया इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।