उत्तराखंड समाचार

कंपनी को लैपटाप ठीक न करना पड़ा भारी, लौटानी होगी पूरी कीमत

शिकायत के बाद लैपटाप में समय-समय पर तकनीकी दिक्कत आनी शुरू हो गई,

देहरादून: कंपनी को लैपटाप ठीक न करना पड़ा भारी। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक मामले में कंपनी को तीस दिन के भीतर लैपटाप की पूरी कीमत लौटाने का आदेश दिया है। कंपनी को इसके अलावा 15 हजार रुपये की मानसिक क्षतिपूर्ति व पांच हजार रुपये वाद व्यय भी देना होगा।दून निवासी दीपेंद्र सिंह नेगी ने नैट डिस्ट्रीब्यूशन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड व लेनेवो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को पक्षकार बना आयोग में वाद दायर किया। बताया कि उन्होंने नैट डिस्ट्रीब्यूशन सर्विस से 34,490 रुपये में लेनेवो का एक लैपटाप लिया था। जिसका भुगतान क्रेडिट कार्ड से किया गया।इस लैपटाप की उन्हें एक साल की गारंटी दी गई थी। इस दौरान लैपटाप में वाई-फाई न चलने की दिक्कत आनी शुरू हो गई। जिसकी शिकायत उन्होंने कंपनी को ई-मेल के जरिए की। कंपनी ने इस दिक्कत को स्वीकार किया और कहा कि लैपटाप को रिमोट से एक्सेस करना होगा।इसके अलावा लैन केबल की आवश्यकता बताई। लैपटाप को रिमोट से एक्सेस किया गया और कहा गया कि इसके फिजिकल एग्जामिनेशन की आवश्यकता है। जिसे सर्विस इंजीनियर ही कर सकता है। इस शिकायत के बाद लैपटाप में समय-समय पर तकनीकी दिक्कत आनी शुरू हो गई, जिसकी शिकायत कंपनी से की गई, पर कभी सही उत्तर नहीं मिला।कुछ दिन बाद बताया गया कि लैपटाप में फिंगर प्रिंट रीडर की भी दिक्कत है। जिसको बदला जाना है। कंपनी का इंजीनियर आया और उसने लैपटाप का निरीक्षण किया। बताया कि इसमें पार्ट बदलना होगा और चला गया। इंजीनियर एक बार फिर निरीक्षण को आया पर पार्ट नहीं बदला।कई बार शिकायत के बाद भी इस समस्या का निवारण नहीं किया गया। विपक्षीगण को नोटिस तामील होने पर बाद ही न कोई आयोग में उपस्थित हुआ और न कोई परिवाद पत्र प्रस्तुत किया। आयोग के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल और सदस्य अलका नेगी व विमल प्रकाश नैथानी ने साक्ष्य के आधार पर माना कंपनी के इस कृत्य से उपभोक्ता को मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी। ऐसे में उसे इसकी क्षतिपूर्ति करनी होगी।

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