उत्तराखंड समाचारधर्म

श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर मे जल चढ़ाने से पूरी होती है मन्नत

महाभारत काल से पहले गुरु द्रोणाचार्य के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए।

देहरादून। ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर मे जल चढ़ाने से सभी मन्नत पूरी हो जाती हैं।  महाभारत काल से पहले गुरु द्रोणाचार्य के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए। गुरु द्रोण के अनुरोध पर ही भगवान शिव जगत कल्याण को लिंग के रूप में स्थापित हो गए। इसके बाद द्रोणाचार्य ने शिव की पूजा की और अश्वत्थामा का जन्म हुआ। टपकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में मान्यता है कि अश्वत्थामा ने मंदिर की गुफा में छह माह एक पांव पर खड़े होकर भगवान शिव की तपस्या की और जब भगवान प्रकट हुए तो उनसे दूध मांगा। इस पर प्रभु ने शिवलिंग के ऊपर स्थित चट्टान में गऊ थन बना दिए और दूध की धारा बहने लगी। इसी कारण से भगवान शिव का नाम दूधेश्वर पड़ गया। कलयुग में दूध की धारा जल में परिवर्तित हो गई, जो आज भी निरंतर शिवलिंग पर गिर रही है। इस कारण इस स्थान का नाम टपकेश्वर पड़ गया। मंदिर में सावन महीने में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। विशेष बात ये है कि देश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी शिवभक्त और पर्यटक भगवान के दर्शन को यहां आते हैं। पूरे सावन के महीने यहां मेले का माहौल बना रहता है और दर्शन के लिए लंबी लाइन लगानी पड़ती है।

108 महंत कृष्ण गिरी महाराज ने जानकारी देते हुये बताया की श्री टपकेश्वर महादेव भक्तों की मनोकामना को पूरी करते हैं। सावन के महीने में यहां मात्र जल चढ़ाने से भक्तों की मन्नत पूरी होती है। उन्होंने बताया की पूर्णिमा के दिन महादेव का दूधेश्वर के रूप में शृंगार किया जाता है, क्योंकि इसी दिन अश्वत्थामा को महादेव ने दर्शन दिए थे। प्रदोष में भगवान शंकर का रुद्र रूप में 5151 दानों से बना रुद्राक्ष का रुद्र स्वरूप से बना दिव्य श्रृंगार दर्शन होते हैं। महादेव की महिमा टपकेश्वर रूप में अपरंपार है। यहां जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, शिव उसकी मनोकामना पूरी करते हैं।

 

 

 

 

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