उत्तराखंड समाचार

एक गधेरे को 22 बार पार करना बिलेख के ग्रामीणों की मजबूरी

स्कूल के बच्चे भी इसी पुलिस की मदद से गधेरा पार कर विद्यालय पहुंचते हैं।

बागेश्वर। विकास के दावों के बीच बिलेख गांव आज भी यातायात सुविधा से वंचित है। रवाईखाल से गांव तक आठ किमी की दूरी ग्रामीणों को पैदल तय करनी पड़ती है। गांव तक पहुंचने के लिए लोगों को एक ही गधेरे को 22 बार पार करना पड़ता है। बारिश के दिनों में जब गधेरा उफान पर रहता है तो ग्रामीण 15 स्थानों पर लकड़ी के लट्ठे डालकर अस्थायी पुलिस बनाते हैं। स्कूल के बच्चे भी इसी पुलिस की मदद से गधेरा पार कर विद्यालय पहुंचते हैं। अन्य स्थानों पर पुलिया नहीं बन पाने से लोगों को जोखिम उठाकर गधेरा पार करना पड़ता है।बिलेख गांव ग्राम पंचायत थकलाड़ का तोक है। गांव में अनुसूचित जाति के करीब 35 परिवार रहते हैं। गांव के लिए वर्ष 2016 में मोटर मार्ग स्वीकृत हो गया था, जिसके बाद कई बार सर्वे भी कराया जा चुका है लेकिन सड़क का निर्माण अब तक शुरू नहीं हो सका है। ग्राम प्रधान शीला चन्याल ने बताया कि गांव में पहले आठ सामान्य वर्ग के परिवार भी रहते थे। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा न होने से इनमें से अधिकांश परिवार पलायन कर गए। उन्होंने बताया कि गांव में प्राथमिक विद्यालय है, लेकिन आगे की शिक्षा के लिए छात्र-छात्राओं को रवाईखाल जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में दिक्कत काफी बढ़ जाती है। छोटे बच्चों को भी उफनते गधेरे के ऊपर डाले गए लकड़ी के लट्ठों पर चलकर जाना पड़ता है।ग्रामीणों ने सड़क का निर्माण कराने की मांग के लिए डीएम को ज्ञापन भी दिया लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई है। ग्रामीण नारायण राम, संजय चन्याल, संदीप चन्याल, राजेंद्र कुमार, हरीश कुमार, कृष्णा, नवीन, चंदन आदि ने जल्द सड़क का निर्माण कार्य शुरू करवाने की मांग की है।बिलेख गांव के लिए मोटर मार्ग स्वीकृत है। वन भूमि की बाधा दूर न होने से मामला लटका है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को वन भूमि हस्तांतरण की फाइल ऑनलाइन कर दी गई है। जल्द ही वन भूमि का मसला हल हो जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button