उत्तराखंड समाचार

नानकमत्ता से सटे गांव में बच्चे को खींचकर ले जा रहा था तेंदुआ, जबड़े से छीन लाई मां

सिर और पीठ पर तेंदुए के पंजे और नाखूनों के निशान बन गए है।

नानकमत्ता : ऊधमसिंहनगर जिले के नानकमत्ता में रनसाली जंलग से सटे सरौंजा गांव में घर के बाहर सो रहे दस वर्षीय बालक पर तेंदुए ने हमला कर दिया। बालक के चीखने पर बगल में सो रही उसकी मां ने तेंदुए के जबड़े से बच्चे को छुड़ा लिया। जिसके बाद दबे पांव तेंदुआ जंगल की ओर भाग गया। तेंदुए के हमले में घायल बच्चे को नानकमत्ता के सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए लाया। उसके सिर और पीठ पर तेंदुए के पंजे और नाखूनों के निशान बन गए है।रनसाली रेंजर प्रदीप धोलाखंडी ने बताया कि रनसाली वन क्षेत्र से सटे सरौंजा गांव में दस वर्षीय बलजीत सिंह पुत्र हजारा सिंह मां के साथ घर के आंगन में सो रहा था। देर रात घात लगाए तेंदुए ने बलजीत सिंह पर हमला कर दिया। बच्चे के चिल्लाने पर बगल में सो रही मां यह देखकर सतर्क हो गई और उसने बच्चे को तेंदुए के चंगुल छुड़ा लिया। शोर-शराबा होने से तेंदुआ खेतों की ओर भाग गया। वनकर्मी घायल को सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। चिकित्सक डा. खुशबू ने बताया कि बच्चे के सिर, पीठ पर खरोंच के निशान हैं।रेंजर ने बताया कि सरौंजा वनबीट क्षेत्र में तेंदुए का मूवमेंट रहता है। ग्रामीणों को घर के बाहर रात में सोने के लिए मना किया गया है। उन्होंने ग्रामीणों से सतर्कता बनाए रखने की अपील की है। कहा कि घायल को नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा। सूचना पर नानकमत्ता के पूर्व विधायक डा. प्रेम सिंह राणा ने घायल के घर पहुंचकर घटना की जानकारी ली।फारेस्ट डिपार्टमेंट ने तेंदुए और बाघ के हमले रोकने के लिए वनक्षेत्रों की तीन रेंज के संवेदनशील क्षेत्रों में सोलर फेंसिंग की व्यवस्था की है। सोलर फेंसिंग के जरिए ग्रामीण हिंसक जानवरों के हमलों से सुरक्षित रहेंगे। अन्य वन्यजीव उनके खेतों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे। सोलर फेंसिंग के संपर्क में आने पर वन्यजीवों को 12 बोल्ट का करंट महसूस होगा। इस वजह से वन्यजीवों में दहशत बनी रहेगी। इससे वन्य जीव आबादी की तरफ मूवमेंट नहीं करेंगे। इससे ग्रामीणों को तेंदुए के हमले से सुरक्षित रखा जा सकता है।

 

 

 

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