अखंड सुहाग के लिए आज मनाया जाएगा वट सावित्री व्रत
वट वृक्ष पर जल चढ़ाने के अलावा कच्चे सूत से वट के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करते हुए बांधने का विधान है।
हरिद्वार: वट सावित्री व्रत रविवार को मनाया जाएगा। अखंड सुहाग की रक्षा के लिए सुहागिन वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रखकर विधि-विधान से पूजा करेंगी। वट वृक्ष पर जल चढ़ाने के अलावा कच्चे सूत से वट के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करते हुए बांधने का विधान है।
श्री गंगा सभा विद्वत परिषद एवं कर्मकांड समिति के सचिव पंडित अमित शास्त्री ने बताया कि ज्येष्ठ अमावस्या को किया जाने वाला वट सावित्री व्रत सनातन संस्कृति में दांपत्य जीवन के प्रति अगाध श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। इस व्रत का संबंध देवी सावित्री से है। जिन्होंने अपने पतिव्रत्य और दृढ़ प्रतिज्ञा के प्रभाव से यमद्वार पर गए पति को सकुशल लौटाया था। व्रत चतुर्दशी विद्धा अमावस्या के दिन किया जाता हैं। धर्म सिधु आदि सभी शास्त्रकारों ने ज्येष्ठ अमावस्या चतुर्दशी विद्धा में ही वट सावित्री व्रत करने के लिए कहा है। यद्यपि अमावस्या तिथि का सूर्यास्त से पहले त्रिमुहूर्त व्यापनी होना आवश्यक माना गया है। 29 मई दोपहर दो बजकर 54 मिनट के बाद अमावस्या तिथि होगी। इस दिन हरिद्वार में सूर्यास्त सात बजकर 10 मिनट पर होगा। इसलिए यह स्पष्ट है कि अमावस्या तिथि 29 मई को सूर्यास्त से पहले तीन मुहूर्त से अधिक समय तक विद्यमान है। इस दिन अमावस्या चतुर्दशी से युक्त है। बताया कि भ्रमित न होते हुए शास्त्र सम्मत निर्णय के अनुसार यह व्रत 29 मई रविवार को किया जाएगा।
वहीं ज्योतिषाचार्य और प्राच्य विद्या सोसाइटी के निदेशक डा. प्रतीक मिश्र पुरी ने बताया कि अमावस्या भले ही 30 मई को है। लेकिन, वट सावित्री व्रत तभी पुण्यदायक होता है जब अमावस्या और चतुर्दशी तिथि दोनों का मिलन हो रहा हो। यह स्थिति 29 को ही होगी, क्योंकि इसी दिन चतुर्दशी तीन बजे दोपहर तक होगी, इसके बाद अमावस्या होगी।