उत्तराखंड समाचार

त्यागी को लेकर यति नरसिंहानंद व आनंद स्वरूप में रार

अपनी राह अलग कर उनसे मिलना-जुलना बंद कर दिया है।

हरिद्वार: उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिजवी) को लेकर जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद और स्वामी आनंद स्वरूप में रार छिड़ गयी है। हालांकि, स्वामी आनंद स्वरूप इसे यति नरसिंहानंद की गलतफहमी करार दिया। उधर, यति नरसिंहानंद ने मंगलवार को सर्वानंद घाट पर पत्रकार वार्ता में स्वामी आनंद स्वरूप से संबंध समाप्त होने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि त्यागी उनके साथ नहीं हैं। उन्होंने अपनी राह अलग कर उनसे मिलना-जुलना बंद कर दिया है। कहा कि स्वामी आनंद स्वरूप उन्हें बदनाम करने के लिए अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। जबकि, उन्होंने जेल से रिहा होने तक न सिर्फ त्यागी का साथ दिया, बल्कि उनके लिए जेल भी गए।इस मामले में त्यागी का कहना है कि यति नरसिंहानंद के पिता ने उन्हें वसीम रिजवी से जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी नाम दिया। इस नाते यति नरसिंहानंद उनके भाई हैं और भाई ही रहेंगे। उन्हें किसी राजनीति या गुट का हिस्सा नहीं बनना। उन्होंने स्वयं को लेकर दो संतों के बीच पैदा हुई रार पर निराशा जताई। दूसरी ओर स्वामी आनंद स्वरूप ने यति नरसिंहानंद को सम्मानित एवं आदरणीय संत बताया और कहा कि उन्होंने यति नरसिंहानंद के विरोध में कभी कोई बात नहीं कही। न उन पर त्यागी से जेल में मिलने नहीं जाने का आरोप ही लगाया।त्यागी ने मंगलवार को अखाड़ा पहुंचकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (निरंजनी) के अध्यक्ष श्रीमहंत रविद्र पुरी से भेंट की। उन्होंने इसे शिष्टाचार भेंट बताते हुए कहा कि जेल में रहने के दौरान उनके मन में संन्यास इच्छा जागृत हुई थी। इसी को लेकर उन्होंने श्रीमहंत रविद्रपुरी से भेंट की। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने संन्यास लेने संबंधी न तो कभी कोई बयान दिया और न इसके लिए किसी को अधिकृत ही किया।

 

 

 

 

 

 

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button