योग भारत की प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार : प्रो भारद्वाज
आज योग को पूरे विश्व में असाध्य रोगों से निपटने के लिये अपनाया जा रहा है।
हरिद्वार : देव संस्कृति विश्वविद्यालय के एकेडमिक डीन प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है। आज योग को पूरे विश्व में असाध्य रोगों से निपटने के लिये अपनाया जा रहा है। कहा कि हम जैसे-जैसे अपनी संस्कृति से दुनिया को अवगत कराएंगे, महाशक्ति के रूप में उभरते जाएंगे।
एसएमजेएन पीजी कालेज में कालेज के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ की ओर से आजादी का अमृत महोत्सव और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित व्याख्यान में विशेषज्ञों ने योग की महत्ता पर प्रकाश डाला। इस मौके पर प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने सूर्यास्त से पूर्व भोजन पर बल देते हुए बताया कि हार्टअटैक, मधुमेह, श्वांस जैसी गंभीर बीमारियों में दवा के साथ-साथ योग का भी अभ्यास किया जाए तो बेहद सकारात्मक नतीजे सामने आएंगे। योग के आठ अंग यम, नियम, प्राणायाम, आसन, ध्यान, धारणा, प्रत्याहार एवं समाधि अंतर्गत संपूर्ण जीवन का सार और जीवनशैली को प्रतिबिबित करता है। उन्होंने सही भोजन और आहार लेने की छात्र-छात्राओं से अपील की। डा. भारद्वाज ने छात्र छात्राओं से जंक फूड का सेवन नहीं करने का आग्रह किया।
प्राचार्य डा. सुनील कुमार बत्रा ने बताया कि योग कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी सहित अन्य बीमारियों से लड़ने में कारगर है। इसकी वैज्ञानिक पुष्टि भी होती है। योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। छात्र कल्याण अधिष्ठाता डा. संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि वर्तमान में योग की महत्ता को देखते हुए महाविद्यालय में पंद्रह दिवसीय योग-शिविर छह जून से 20 जून तक चलाया जाएगा। इच्छुक छात्र-छात्रा 31 मई तक पंजीकरण करवा लें। महाविद्यालय की ओर से प्रतिभागियों को शिविर में प्रतिभाग का प्रमाण-पत्र, योग किट, मेट और कैप भी प्रदान की जाएगी। मुख्य अनुशासन अधिकारी डा. सरस्वती पाठक कहा कि योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। डा. मनमोहन गुप्ता, डा. तेजवीर सिंह तोमर, डा. जेसी आर्य, डा. नलिनी जैन, डा. सुषमा नयाल, विनय थपलियाल, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अमन शर्मा आदि मौजूद रहे।