उत्तराखंड समाचार

251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का समापन

251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का समापन

हरिद्वार 24 नवंबर। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकंुज के प्रमुखद्वय श्रद्धेय डा ॅप्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी के मार्गदर्शन मंे रामलीला ग्राउण्ड सेक्टर-7 में हो रहे 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का आज समापन हो गया। पाांच दिवसीय महायज्ञ के अंतिम दिन हजारों लो़ेगों ने राष्ट्र को समर्थ बनाने हेतु प्रार्थना की। विदाई सत्र को संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि डॉ चिन्मय पण्ड्या जी ने कहा कि भगवान के साथ सच्चे मन से समर्पण के साथ जो जुड़ता है, वह सदैव उपर उठता हुआ चला जाता है। यज्ञ हमें यही प्रेरणा देता है। यज्ञीय उर्जा से अनुप्राणित साधक के जीवन में यह सौभाग्य जगाता है। देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डॉ पण्ड्या ने कहा कि यज्ञ- देवपूजन, दान व संगतिकरण का नाम है। रामायण, पुराणों आदि का उल्लेख करते हुए साधकों के मन को सकारात्मक दिशा दी। युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि युगद्रष्टा पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने सन् 1926 से जो अखण्ड दीपक जलाया है, सम्पूर्ण गायत्री परिवार उसका शताब्दी वर्ष 2026 में मनाने जा रहा है। इस हेतु जन जन में सकारात्मकता के बीज बोते हुए शंृखलाबदृध रूप से देश भर में ज्योतिकलश यात्रा निकाली जा रही है। इस दौरान युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने लोगों में सद्गुणों का विस्तार सहित पर्यावरण, जलस्र्रोतों के संरक्षण के लिए संकल्पित कराया और अंगदान के लिए प्रेरित किया। पांच दिवसीय इस महायज्ञ में दिल्ली सहित सम्पूर्ण एनसीआर क्षेत्र, बिहार, झारखण्ड, उप्र, उत्तराखण्ड, मप्र, हरियाणा आदि राज्यों से कोने कोने से हजारों नर नारियों ने अपनी अपनी आहुतियां दी। उल्लेखनीय है कि महायज्ञ में हजारों नर नारियों ने भावनात्मक यज्ञाहुतियां दी और राष्ट्र को समर्थ बनाने तथा सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव से प्रार्थना की। इससे पूर्व शांतिकुंज हरिद्वार से आये परमानंद द्विवेदी के नेतृत्व में विद्वान आचार्यों की टीम ने मं़त्रोच्चार के साथ महायज्ञ का संचालन किया और अंतिम दिन आवाहित देवताओं की विदाई दी। इस अवसर पर महायज्ञ में गणमान्य नागरिक, मीडिया कर्मी, प्रशासनिक अधिकारी, चिकित्सक सहित हजारों व्यक्ति उपस्थित रहे। महायज्ञ स्थल में एक भव्य देवसंस्कृति प्रदर्शनी बनाई गयी थी। जिसमें गायत्री, यज्ञ की महत्ता, युगद्रष्टा पूज्य आचार्यश्री के जीवनवृत्त आदि की जीवंत प्रदर्शनी, नशा मुक्ति सहित विभिन्न प्रकार की जीवंत प्रदर्शनी ने सभी को सहज की आकर्षित किया। महायज्ञ में सुरक्षा व्यवस्था चुस्त दुरस्त रही। स्थान स्थान पर गायत्री परिवार के सुरक्षा की टीम लगी रही, जो यज्ञ स्थल, प्रदर्शनी, भोजनालय आदि स्थानों में डटे रहे। पचास सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से कोने कोने की निगरानी भी की जा रही थी। पुलिस व अन्य विभाग की भी सेवा सराहनीय है।

 

 

 

 

 

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