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अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस : खेलों में करियर बनाएं युवा

ओलंपिक दिवस 23 जून 1894 को बैरन पियरे डी कौबर्टिन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है

फरीदाबाद। गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस पर ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित कर खेलों में करियर की अपार संभावनाओं के विषय बारे बताया। कार्यक्रम में विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि आज के दिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का गठन हुआ था। ओलंपिक दिवस 23 जून 1894 को बैरन पियरे डी कौबर्टिन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह संपूर्ण जगत को क्रियाशील बनाने और उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने के लिए सभी को आमंत्रित करता है। यह खेल, स्वास्थ्य और एकजुटता का बहुत महत्वपूर्ण उत्सव है। ओलंपिक दिवस की थीम एक साथ एक शांतिपूर्ण विश्व के लिए है। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस खेल और फिटनेस को समर्पित दिवस है। प्रत्येक वर्ष इस दिवस को विश्व के लोगों के लिए एक्शन में आने के बुलावे के रूप में देखा जाता है। इस का लक्ष्य विश्व भर के लोगों को अपना सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित करना है। प्राचार्य मनचंदा ने खेल जगत में भारत का मान और सम्मान बढ़ाने वाले समस्त प्रतिभावान खिलाड़ियों, कुशल प्रशिक्षकों एवं खेल प्रेमियों को अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि हमारे प्रदेश हरियाणा और हमारे देश में खेलों के प्रति युवाओं को विशेष सुविधाएं तथा साधन प्रदान करवाएं जा रहे हैं तथा विगत वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली सफलताएं इन्ही योजनाओं का परिणाम है। निःसंदेह अभी हमें और भी प्रयास करने हैं, अपने खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण सुविधाओं से संपन्न करवाना है तथा उन्हें सभी वांछित आवश्यकताओं को आपूर्ति करनी है ताकि हम खेलों के क्षेत्र में महाशक्ति बन सकें और देश को खेलों में अग्रणी बना सकें। आज इस दिवस के बारे में प्राचार्य मनचन्दा, अध्यापकों और छात्राओं ने सभी देशवासियों और विशेषकर युवाओं और खेलों को करियर के रूप में अपनाने वाले युवाओं को यह संदेश दिया कि वे खेलों को जीवन का अभिन्न अंग बनाएं और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए सतत परिश्रम करते रहें और देश को खेलों में भी महाशक्ति बनाएं।

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